भोपाल:अवधपुरी निवासी ऋषभ कुमार पिता सुनील कुमार शर्मा ने रूद्राक्ष अस्पताल में कोरोना इलाज के लिये अपने पिता को दाखिल कराया था। उनकी आंख में तकलीफ होने पर उन्हें अरेरा कालोनी स्थित डे-केयर क्लीनिक में शिफ्ट किया गया, फिर उन्हें जेनम अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टर ने बताया कि उनकी बांयी आंख की रोशनी चली गई है तथा दायीं आंख को बचाने के लिये एम्फोटेरिसिन इन्जेक्शन लगाना होगा, उनके बेटे ने जीएमसी भोपाल प्रबंधन से गुहार लगाई कि प्लीज मुझे डीन से मिलवा दो, इन्जेक्शन न मिला, तो पिता की दूसरी आंख भी चली जायेगी। गौरतलब है कि भोपाल में ब्लैक फंगस के करीब 245 मरीज है जिनमें से 138 की सर्जरी हो पाई है, किन्तु एम्फोटेरिसिन इन्जेक्शन के लिये करीब 150 से ज्यादा मरीजों के परिजन भटक रहे हैं। आयोग ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुये जानकारी चाही है कि एम्फोटेरिसिन इन्जेक्शन की उपलब्धता की क्या व्यवस्था की गई है ? तथा एम्फोटेरिसिन इन्जेक्शन स्टाॅक में उपलब्ध है या नहीं? इस बारे में क्या प्रयास किये गये है। प्रकरण में आयोग ने कमिश्नर, भोपाल, कलेक्टर भोपाल तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, भोपाल से 31 मई 2021 तक प्रतिवेदन मांगा है।