पाराशरी विश्राम घाट पर पहुंचे लोगों को परिक्रमा करने की दिक्कत, बेहद गंदगी का अंबार…

मध्यप्रदेश विदिशा

गंजबासौदा। पाराशरी विश्राम घाट राजनीति का शिकार हो गया है। परिणाम स्वरूप लोगों को अपनों के दाह संस्कार गंदगी और अव्यवस्था के बीच संपन्न करना पड़ रहे हैं। वर्तमान में पाराशरी विश्राम घाट पर सामान्य और कोविड-19 गाइड लाइन के तहत एक ही स्थान पर अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं। इसकी देखरेख बंद होने के कारण परिसर में एक तरफ निर्माण सामग्री फैली हुई है और दूसरी ओर अर्थी और अंतिम संस्कार में उपयोग की जाने वाली सामग्री बिखरी पड़ी रहती है। इसके अलावा वर्तमान में कोविड 19 गाइड लाइन के तहत किए जा रहे अंतिम संस्कारों के बाद पीपीई किट और सामग्री भी परिसर में ही छोड़ दी जाती है। नियमित सफाई नहीं होने से संक्रमण का खतरा बना हुआ है।

वर्तमान में यह हैं हालात

अंतिम संस्कार के लिए मात्र 4 शेड बने हुए हैं। एक शेड में दो चिताएं जलाई जा सकती हैं लेकिन हिंदू रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार के बाद अस्थि चयन तीसरे दिन होता है। इस कारण 3 दिन तक अवशेष पड़े रहते हैं। सामान्य अंतिम संस्कार के बाद कफन, लकड़ी, कपड़े परिसर में ही लोग छोड़ जाते हैं। वहीं कोविड गाइड लाइन के तहत इन्हीं शेडों में अंतिम संस्कार हो रहे हैं। इस दौरान पीपीई किट उपयोग की जाती है। उसे भी अंतिम संस्कार के बाद परिसर में ही छोड़ दिया जाता है। इससे गंदगी बनी रहती है जबकि नियमित सफाई जरूरी है।

परिसर में बिखरी पड़ी है निर्माण सामग्री, कोई इसे देखने वाला तक नहीं

पिछले दो महीने से विश्राम घाट पर चल रहा निर्माण कार्य बंद है। निर्माण कार्य के लिए जो सामग्री उपयोग की जा रही थी वर्तमान में गिट्टी रेत आदि के ढेर जहां तहां लगे हुए हैं। इससे अंतिम संस्कार में समस्या आ रही है। परिसर छोटा पड़ने लगा है। गंदगी और सामग्री के कारण परिक्रमा देने और पंच लकड़ी जैसे कार्यक्रमों में दिक्कतें आ रही हैं। सामग्री रखी होने के कारण परिसर भी छोटा पड़ने लगा है। सामग्री को लेकर भी अनिश्चितता है। अधूरे पड़े निर्माण कार्य कब कैसे कौन पूरे कराएगा।

नहीं की जा रही है देखरेख

पाराशरी विश्राम घाट की देखरेख नहीं की जा रही है। हालात यह है कि जो लोग सुर्खियों में आने के लिए सोशल मीडिया और अखबारों में चिंता जताते हैं वर्तमान में कोई भी व्यक्ति इस दुर्दशा की सुध लेने अब तक नहीं पहुंचा। राजनीतिक उठापटक के चलते जो लोग अब तक विश्राम घाट की देखरेख कर रहे थे। फिलहाल उन्होंने भी दरकिनार कर लिया है। इस कारण हालात बिगड़ रहे हैं। इसकी नियमित देखभाल के लिए संरक्षण और सुरक्षा जरूरी है। लेकिन इस पर कोई गंभीर नहीं है। यदि ऐसे ही हालात रहे तो पाराशरी श्मशान घाट अब व्यवस्था की भेंट चढ़ जाएगा।

इस मामले में कार्रवाई होना चाहिए

पूर्व नागरिक बैंक के अध्यक्ष कैलाश सक्सेना, पूर्व प्रतिपक्ष नेता सौदान सिंह यादव, गहोई वैश्य समाज के मोहन बाबू गुप्ता, विप्र समाज के अरुण त्रिपाठी, सामाजिक कार्यकर्ता अगदीश गुप्ता, शैलेंद्र सक्सेना का कहना है विश्राम घाट नगर पालिका के आधीन है। इसके अधूरी विकास के लिए जल्द ही जन सहयोग से निर्माण पूरा कराने के लिए गैर राजनीतिक और निष्पक्ष अच्छे लोगों की समिति का निर्माण कर इसका विकास प्रारंभ और संरक्षण प्रारंभ करने की जिम्मेदारी सौंपी जाना चाहिए।

साक्षी बाजपेई, सीएमओ नपा, गंजबासौदा।

इस मामले में शीघ्र एसडीएम से विचार-विमर्श कर अधूरे निर्माण को पूरा कराने के लिए प्रयास प्रारंभ किए जाएंगे। इससे विश्राम घाट का संरक्षण और सुरक्षा बनी रहे।

जिला विदिशा से ब्यूरो चीफ ओम प्रकाश चौरसिया की रिपोर्ट….

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