लखनऊ ।
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव और महामारी पर अंकुश लगाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जो मॉडल अपनाया है, अब उसकी तारीफ बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी की है। बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए किए गए इंतजामों का जिक्र करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा है कि यहां यूपी सरकार की तरह पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआइसीयू) बनाने पर विचार क्यों नहीं किया जा रहा।
यूपी सरकार ने कोरोना संक्रमण से बच्चों को बचाने के लिए हर बड़े शहर में 50 से 100 बेड का पीडियाट्रिक आइसीयू बनाने का फैसला किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और का नीति आयोग पहले ही कोविड प्रबंधन के लिए प्रदेश सरकार के ‘यूपी मॉडल’ की तारीफ कर चुके हैं। आयोग ने यूपी के इस मॉडल को अन्य राज्यों के लिए नजीर बताया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना संक्रमण से बच्चों को बचाने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों को अलग से एक योजना तैयार करने का निर्देश दिए थे। इसी के तहत चिकित्सा विशेषज्ञों ने उन्हें बताया कि कोरोना संक्रमण से बच्चों को बचाने और उनका इलाज करने के लिए हर जिले में आइसीयू की तर्ज पर सभी संसाधनों से युक्त पीआइसीयू बनाए जाएं। विशेषज्ञों की इस सलाह पर मुख्यमंत्री ने सूबे के सभी बड़े शहरों में 50 से 100 बेड के पीआइसीयू बनाने के निर्देश दिए हैं। यूपी सरकार के इस फैसले को डॉक्टर्स भी बच्चों के लिए वरदान बता रहे हैं।
बच्चों के इलाज को लेकर यूपी के इस मॉडल का खबर अखबारों में छपी। इसी का बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने संज्ञान लिया। खंडपीठ ने कहा कि यूपी में कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को खतरा होने की आशंका के चलते एक अस्पताल को सिर्फ बच्चों के लिए आरक्षित रखा गया है। महाराष्ट्र सरकार यहां ऐसा करने पर विचार क्यों नहीं करती। महाराष्ट्र में दस साल की उम्र के दस हजार बच्चे कोरोना का शिकार हुए हैं, जिसे लेकर हो रही सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने यह सवाल पूछा हैं।
लखनऊ में डफरिन अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान खान ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से तत्काल सभी बड़े शहरों में 50 से 100 पीडियाट्रिक बेड बनाने के निर्णय को बच्चों के इलाज में कारगर बताया है। उन्होंने बताया कि एक महीने से ऊपर के बच्चों के लिए पीआइसीयू (पेडरिएटिक इंटेंसिव केयर यूनिट), एक महीने के नीचे के बच्चों के उपचार के लिये एनआइसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) और महिला अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों के लिये एसएनसीयू (ए सिक न्यू बार्न केयर यूनिट) बेड होते हैं, जिनमें बच्चों को तत्काल इलाज देने की सभी सुविधाएं होती हैं।