कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के दिए निर्देश:विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ
इंदौर:कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के संबंध में लोगों को बच्चों की चिंता सताने लगी है। बड़ों के साथ बच्चे संक्रमण की गिरफ्त में आ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ने भी बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए खासतौर ध्यान रखने की सलाह दी है।
कोरोना संक्रमण काल में बच्चों की विशेष देखभाल करें। इस समय शारीरिक ही नहीं, मानसिक तौर पर भी बच्चों को मजबूत बनाने की जरूरत है। इंदौर के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ संजय सिमलोत का कहना है कि इस समय बच्चों को कोरोना के नाम पर डराएं नहीं, उन्हें सही जानकारी दें। बचाव के प्रति जागरूक करते रहें कि वह नाक, होंठ और पलकों को छूने से बचें।
डॉ संजय सिमलोत का कहना है कि कोरोना संक्रमण के संबंध में तमाम नकारात्मक खबरें आ रही हैं। ऐसे में उन्हें डराना नहीं चाहिए। नहीं तो बच्चे तनावग्रस्त और चिड़चिड़े हो जाएंगे। बच्चों को किसी भी कोरोना संक्रमित या फिर खांसी, जुकाम और बुखार से पीड़ित व्यक्ति के पास न जाने दें। बच्चों को खूब पानी पिलाएं। समय से पौष्टिक भोजन देते रहें, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे।आइसक्रीम व ठंडी चीजें खाने के लिए न दें, जिससे गला खराब हो।
बच्चों में संक्रमण के ये लक्षण दिख रहे हैं
लंबे समय तक बुखार रहना, दस्त लगना, उल्टी आना, पेट में दर्द, हाथ पैर में सूजन आना। मांसपेशियों में दर्द, सूखी खांसी, शरीर और पैर में लाल चकत्ते पड़ना। होंठ लाल पड़ना या फटना, चेहरा नीला पड़ जाना। बच्चे में चिड़चिड़ापन, पहले की अपेक्षा अधिक सुस्त होना या सोते रहना। ऐसे लक्षण दिखने पर जांच करानी चाहिए।
ये काम करें
- कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखने पर आरटीपीसीआर जांच करानी चाहिए।
- रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर यदि अधिक समस्या न हो तो चिकित्सक के परामर्श पर घर में उपचार करें।
- बच्चे के पॉजिटिव होने पर घर के बाकी सदस्य खुद को अलग कर लें। ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन का स्तर चेक करते रहें।
- ऑक्सीजन का स्तर 95 से ऊपर होने पर घर में ही इलाज किया जा सकता है।
- ऑक्सीजन का स्तर 95 से कम होने पर तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए।