मप्र हाईकोर्ट ने सजायाफ्ता बंदियों को आकस्मिक पैरोल देने का दिया आदेश, कम से कम 90 दिन बाहर रह सकेंगे

जबलपुर मध्यप्रदेश

जबलपुर :कोरोना के दूसरी लहर में जेल बंदियों को संक्रमण से बचाने के लिए हाईकोर्ट ने बड़ा निर्णय लिया है। हाईकोर्ट ने जेल प्रशासन से सजायाफ्ता बंदियों को 90 दिन के पैरोल पर छोड़ने का विचार करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट का कहना है कि जेलों में 30,982 विचाराधीन कैदी हैं। कोरोना संकट में जेल में रहना, खतरनाक साबित हो सकता हैं। जमानत बांड भरवा का पैरोल पर छोड़ा जाए।

कोरोना के दूसरी लहर में बड़ी संख्या में कैदी संक्रमित हुए हैं। जेल में कैदियों के लिए इलाज की भी व्यवस्था नहीं हैं। इस कारण हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के आदेश जारी किए हैं।

जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी

प्रदेश की 131 जेलों में कैदियों को रखने की कुल क्षमता 28,675 हैं, लेकिन 49,471 कैदी बंद हैं। यह स्थिति तब है, जब से 4500 कैदी पैरोल पर रिहा किए गए हैं। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि सजायाफ्ता कैदियों के लिए जेल अधिकारी आकस्मिक पैरोल देने पर विचार करें। यह पैरोल कम से कम 90 दिन की होनी चाहिए। इसमें कोर्ट ने अलग-अलग कैदियों के लिए आदेश जारी किया है।

सजायाफ्ता कैदियों के लिए पैरोल

60 साल से अधिक उम्र के पुरुष कैदी।

सभी महिला कैदी, जिनकी उम्र 45 साल से अधिक हों।

वे सभी महिला कैदी, जिनके बच्चे हैं या फिर जो महिला कैदी गर्भवती हैं।

गंभीर बीमारी से ग्रसित बंदियों को।

विचाराधीन कैदियों के लिए आदेश

हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया है कि जेलों में 30,982 विचाराधीन कैदी हैं। जेलों में बंद विचाराधीन बंदियों को पैरोल के लिए आवेदन देना होगा। फिर जेल अधीक्षक इन आवेदनों को जिला अदालत तक पहुंचाएंगे। इसके बाद इन्हें अस्थाई जमानत मिल पाएगी। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पूर्व में अंतरिम जमानत मिलने वाले बंदियों ने इस दौरान अपराध किया है, उन्हें जमानत का लाभ नहीं मिलेगा।

गैर जमानतीय वारंट वाले बंदियों को पहले करना होगा सरेंडर

इसके साथ ही गैर जमानतीय वारंट वाले बंदियों को भी पहले सरेंडर करना होगा, तब उने मामले में पैरोल पर विचार किया जायेगा। पैरोल पर छोड़े जाने के बाद जो कैदी जेल में बचेंगे, उनकी स्क्रीनिंग की जाएगी। यदि किसी कैदी में कोरोना के लक्षण पाए जाते हैं, तो उसका आरटी-पीसीआर टेस्ट होगा। उसे आइसोलेट किया जायेगा। नए कैदियों को आरटी-पीसीआर टेस्ट करवाने के बाद शुरुआत के 15 दिनों तक आइसोलेट रखा जाएगा। कोरोना संक्रमित होने पर जेल प्रशासन को उसका इलाज कराना होगा।

बंदियों को संक्रमण से बचाने के लिए ये कवायद

जेल में आने वाले नए कैदियों को जेल में 15 दिन के लिए किया जा रहा आइसोलेट।

हर कैदी का आरटीपीसीआर टेस्ट कराने के बाद ही जेल दाखिला कराया जा रहा है।

जेलों में बंद कैदियों को भी लगाया जा रहा कोरोना का टीका।

जेल में कैदियों की इम्युनिटी को बनाए रखने के लिए उन्हें काढ़ा आदि भी दिया जा रहा है।

कई जेलों में योगा शिविर भी आयोजित किया जा रहा है।

बंदियों से परिवारजनों का मुलाकात बंद कर दिया गया है।

सीसीटीवी कैमरे 24 घंटे बंदियों की निगरानी की जाती है।

जुर्माना माफ करो और रिहा करो

हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि यदि किसी बंदी को इस कारण जेल में निरूद्ध रखा गया हैं, कि उसने जुर्माने की राशि अदा नहीं की है तो राज्य सरकार जुर्माना माफ कर उसे रिहा करें। इसके साथ ही जेल में बंद कैदियों का प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण किया जाए। हाईकोर्ट की यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की एक याचिका के आदेश के आधार पर हैं। इस पर राज्य सरकार को अमल करना हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 17 मई को होगी।

कोरोना के पहले दौर में भी बंदियों को मिला था पैरोल

यहां बता दें कि पिछले साल 6500 बंदियों को जेल विभाग ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए कोरोना जमानत पर छोड़ा था। इसमें पैरोल पाने वाले 3800 बंदी थे। 60-60 दिन का पैरोल अवधि बढ़ाया गया था। नंवबर माह में आखिरी बार 60 दिन के लिए इसे बढ़ाया गया था। जनवरी में पैरोल पर छूटे सभी बंदी वापस जेलों में पहुंच चुके हैं। कुछ नहीं पहुंचे, तो उनके खिलाफ विभिन्न थानों में FIR दर्ज कराई गई है।

दूसरी लहर में ये कवायद की जा रही है

4500 बंदियों को मिला 60 दिनों का पैरोल।300 कैदी हुए दूसरी लहर में संक्रमित।

131 जेलों में 49 हजार से अधिक कैदी काट रहे सजा।प्रदेश की जेलों में 30,982 विचाराधीन कैदी।

14 हजार 600 कैदी पर साबित हो चुका है दोष।दूसरी लहर में करीब 8000 नए बंदी पहुंचे जेल

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