मध्य प्रदेश में सवा सात सौ मेडिकल आफिसर्स की भर्ती अटकी

इंदौर।

कोरोना काल में मध्य प्रदेश में चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी महसूस की जा रही है। सवा सात सौ से ज्यादा डाक्टरों की भर्ती सिर्फ इंटरव्यू की देरी के कारण अटकी हुई है। फरवरी में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के लिए मप्र लोकसेवा आयोग (पीएससी) ने 727 मेडिकल आफिसरों की भर्ती की घोषणा की थी। इंटरव्यू के आधार पर सीधे चयन किया जाना था। इंटरव्यू प्रक्रिया अटकी हुई है। कोरोना के बढ़ते खतरे और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के बीच यदि इन डाक्टरों की भर्ती हो जाए तो प्रदेश को बड़ी राहत मिल सकती है। मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग ने फरवरी में मेडिकल आफिसरों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। 14 मार्च तक आवेदन जमा भी हो गए। इसके बाद इंटरव्यू होना था और नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए जाते। इन पदों के लिए एमबीबीएस डिग्रीधारी चिकित्सकों से आवेदन मंगवाए गए थे।

वर्षों बाद मेडिकल आफिसरों के इतने पदों पर एक साथ नियुक्ति की घोषणा हुई थी। पहले उम्मीद थी कि इंटरव्यू के बाद नियुक्तियां अप्रैल तक हो जातीं। हालांकि पीएससी ने अब तक चयन की प्रक्रिया और इंटरव्यू शुरू भी नहीं किए हैं। आवेदन दे चुके उम्मीदवारों के साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े जानकार भी मांग कर रहे हैं कि शासन को तुरंत प्रक्रिया शुरू कर इन डाक्टरों की भर्ती करनी चाहिए। इससे प्रदेश के सरकारी अस्पतालों को डाक्टरों का बड़ा अमला मिल सकेगा और जनता को भी राहत मिलेगी। पीएससी तक भी यह बात पहुंचाई गई है कि कोरोना कर्फ्यू में यूं तो सभी प्रक्रिया बंद हैं लेकिन प्रदेश की स्थिति और स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरतों के मद्देनजर इस प्रक्रिया को तुरंत अंजाम पर पहुंचाया जाना चाहिए।

स्लाट में करे इंटरव्यू : पीएससी को सुझाव दिया गया है कि क्योंकि प्रदेश को अभी डाक्टरों की जरूरत है, ऐसे में इस भर्ती प्रक्रिया को तुरंत निपटा लिया जाना चाहिए। सिर्फ इंटरव्यू का एक दौर ही होना है। पीएससी चाहे तो कई इंटरव्यू बोर्ड बनाकर बहुत छोटे-छोटे हिस्सों में गिनती के उम्मीदवारों को बुलाकर इंटरव्यू लिए जा सकते हैं। इससे शारीरिक दूरी का पालन भी होगा और नियुक्तियां होने से प्रदेश को मदद भी मिल जाएगी।

होटल-परिवहन बंद होने से परेशानी

पीएससी के अधिकारियों का कहना है कि आयोग अपनी ओर से प्रक्रिया को टालना या लंबित रखना नहीं चाहता था। लेकिन कोरोना के कारण बंद हुई गतिविधियां इसके आड़े आ रही हैं। दरअसल परिवहन से लेकर होटल व खाने-पीने की गतिविधियां भी पूरी तरह बंद हैं। ऐसे में पीएससी इंटरव्यू बोर्ड के सदस्यों को बुलाता है तो उन्हें ठहराने और खिलाने-पिलाने की व्यवस्थाएं मुश्किल हो जाएगी। इंटरव्यू में शामिल होने वाले उम्मीदवारों के लिए परिवहन सुविधाएं बंद होने के कारण उनका आना भी मुश्किल होगा। ऐसे में तुरंत प्रक्रिया करवाना मुश्किल हो रहा है। इन इंटरव्यू को वर्चुअल माध्यम से करवाना भी संभव नहीं है। हालांकि पीएससी की सचिव वंदना वैद्य व अन्य अधिकारियों ने इस मामले पर आधिकारिक रूप से कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है।

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