मुकेश अंबानी अलीबाबा को पीछे छोड़ने और अमेजन को टक्कर देने की तैयारी में

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मुंबई. करीब 3.81 लाख करोड़ रुपए की नेटवर्थ रखने वाले मुकेश अंबानी आज 62 साल के हो गए। वे एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति हैं। पिछले साल जुलाई में अंबानी ने चीन की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा के फाउंडर और चेयरमैन जैक मा को नेटवर्थ के मामले में पीछे कर दिया था। इसी साल जनवरी में मैगजीन ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने लिखा था कि अंबानी जियो के जरिए भारत के जैक मा या जेफ बेजोस बनने पर फोकस कर रहे हैं। गुरुवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज के चाैथे क्वार्टर के नतीजे आए, जिसमें कंपनी का नेट प्रॉफिट 9.8% बढ़कर रिकॉर्ड 10,362 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। इसमें जियो का 840 करोड़ रुपए का प्रॉफिट शामिल है। दैनिक भास्कर प्लस ऐप ने यह जाना कि देश के ई-कॉमर्स मार्केट पर अंबानी की किस तरह नजर है और क्या वे कामयाब हो सकते हैं?

1) खुद अंबानी मानते हैं कि इंटरनेट डेटा नया ऑयल है
रिलायंस इंडस्ट्रीज को सालाना 60 अरब डॉलर (4.16 लाख करोड़ रुपए) का रेवेन्यू तेल और गैस के कारोबार से मिलता है। कंपनी का मुख्य कारोबार यही है, लेकिन अंबानी ने खुद कहा था कि ‘इंटरनेट डेटा नया ऑयल’ है।

2) ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के लिए 10 हजार स्टोर
इसी साल जनवरी में ‘वाइब्रेंट गुजरात समिट’ में मुकेश अंबानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में कहा था, “रिलायंस रिटेल और रिलायंस जियो इन्फोकॉम मिलकर एक नया ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म लॉन्च करेंगे।” रिलायंस रिटेल के देशभर में 10 हजार से ज्यादा स्टोर हैं। जियो के ग्राहकों की संख्या भी 30 करोड़ से ज्यादा है। ब्रोकरेज फर्म यूबीएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जिस तरह से चीन में अलीबाबा को घरेलू कंपनी होने और सस्ती दरों पर अपनी सेवाएं और सामान बेचने का फायदा मिला, उसी तरह से भारत में भी रिलायंस को इसी तरह का फायदा मिल सकता है।

3) जैक मा का फॉर्मूला
जैक मा ने 1999 में छोटे दुकानदारों के साथ मिलकर एक चेन बनाई थी ताकि ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों को देश के किसी भी कोने में स्थानीय दुकानदारों या स्टोर से सामान मिल सके। माना जा रहा है कि अंबानी भी इसी तरह की योजना बना रहे हैं। अंबानी ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार करना चाहते हैं, जिससे ग्राहकों को 24 घंटे के अंदर सामान की डिलीवरी मिल सके और वे सामान से जुड़ी शिकायत ऑफलाइन ही कर सकें। जैक मा ने भी ऐसा ही किया। इसी वजह से अमेजन के बाद अलीबाबा दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी बन सकी।

4) बेजोस का फॉर्मूला 
दुनिया के सबसे अमीर उद्योगपति और अमेजन के प्रमुख जेफ बेजोस ई-कॉमर्स बिजनेस को बढ़ाने के लिए अब तक 75 से ज्यादा कंपनियों में निवेश कर चुके हैं या उन्हें खरीद चुके हैं। अंबानी ने भी पिछले दो साल में 25 छोटी-छोटी कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदी है।

जेफ बेजोसमुकेश अंबानीजैक मा
मार्च 2018 में नेटवर्थ7.77 लाख करोड़ रुपए2.78 लाख करोड़ रुपए2.70 लाख करोड़ रुपए
अप्रैल 2019 में नेटवर्थ10.62 लाख करोड़ रुपए3.81 लाख करोड़ रुपए2.76 लाख करोड़ रुपए
कितना इजाफा36.6%37.5%2.5%
कंपनी का मार्केट कैपअमेजन का 63.57 लाख करोड़ रुपएरिलायंस का 8.76 लाख करोड़ रुपएअलीबाबा का 33.65 लाख करोड़ रुपए


5) आनंद महिंद्रा ने कहा- अंबानी अमेजन को टक्कर दे सकते हैं
टाइम मैगजीन की 100 सबसे असरदार लोगों की सूची में जब अंबानी का नाम आया तो महिंद्रा ग्रुप के प्रमुख आनंद महिंद्रा ने लिखा- ‘‘मुकेश अंबानी का विजन अब उनके पिता से भी ज्यादा महत्वाकांक्षी नजर आता है। जब ई-कॉमर्स बिजनेस के लिए रिलायंस का बड़ा रिटेल डिविजन जियो के नेटवर्क से मिलेगा तो वह अमेजन को भी कड़ी टक्कर देगा।’’ 

6) अंबानी का फोकस न्यू ऐज बिजनेस पर
कॉर्पोरेट हिस्टोरियन प्रकाश बियाणी ने भास्कर प्लस ऐप को बताया कि मुकेश अंबानी का फोकस इस समय न्यू एज बिजनेस पर है। टेलीकॉम सेक्टर में जियो की लॉन्चिंग और अब ई-कॉमर्स सेक्टर में उतरने की तैयारी इसका उदाहरण है। पिछले कुछ समय से पेट्रोकेमिकल, रिफाइनिंग जैसे ओल्ड एज बिजनेस में रिलायंस को उतना प्रॉफिट मार्जिन नहीं मिल रहा, जितना पहले मिला करता था। यही कारण है कि इन दोनों बिजनेस में 25% हिस्सेदारी सऊदी अरामको को बेचने की बात चल रही है।

7) अंबानी के सामने चुनौतियां
बियाणी बताते हैं कि पहली चुनौती है- वेयरहाउस। दूसरी- लॉजिस्टिक और तीसरी- वेंडर्स। ई-कॉमर्स बिजनेस के लिए रिलायंस को देशभर में बड़े पैमाने पर वेयरहाउस खोलने होंगे ताकि अपने प्लेटफार्म पर बेची जाने वाली चीजों का अच्छी संख्या में स्टोरेज हो सके। इसके बाद लॉजिस्टिक सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। ऑनलाइन बिजनेस में ऑनटाइम डिलीवरी की होड़ है। ऐसे में ऑर्डर के बाद समय से प्रोडक्ट को कस्टमर तक पहुंचाने के लिए लॉजिस्टिक ऑपरेशन का मजबूत होना जरूरी है। इसके बाद वेंडर्स जोड़ना भी एक बड़ी चुनौती होगी। देशभर में प्रोडक्ट से जुड़े वेंडर्स जोड़ना एकदम आसान नहीं होगा। हालांकि देशभर में रिलायंस के कारोबार का फैलाव इन चुनौतियों से निपटने में सक्षम है।

भारत अभी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बहुत पीछे है। जब तक उत्पादन नहीं बढ़ेगा, तब तक सस्ते में सामान उपलब्ध नहीं हो सकेगा। ऐसे में जेफ बेजोस को पीछे छोड़ने के लिए मुकेश अंबानी को ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर प्रोडक्ट बेचने होंगे।

अंबानी ने कहा है कि रिलायंस रिटेल और रिलायंस जियो मिलकर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इसे शुरू करने में सबसे बड़ी समस्या डेटा शेयरिंग की है। दरअसल, रिलायंस रिटेल और रिलायंस जियो दो अलग-अलग कंपनियां हैं। डेटा प्राइवेसी के नियमों की वजह से अलग-अलग कंपनी होने के नाते दोनों अपना डेटा एक-दूसरे से शेयर नहीं कर सकतीं। हालांकि, इन दोनों कंपनियों के मर्जर से ऐसा हो सकता है। अगर दोनों कंपनियों को आपस में मिला दिया जाता है तो दो अलग-अलग कंपनियों का डेटा एक हो जाएगा और इसका इस्तेमाल ई-कॉमर्स में किया जा सकेगा।


मुकेश अंबानी का सफर

शुरुआत : 1977 में रिलायंस के बोर्ड से जुड़े, 2002 में ग्रुप के चेयरमैन बने, 2005 में बंटवारे के बाद से ग्रुप के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर
बंटवारे के वक्त रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप : 2005 में 96,668 करोड़ रुपए
2005 में अंबानी की नेटवर्थ : 48,601 करोड़ रुपए
मुख्य कारोबार : इंडियन पेट्रोकेमिकल्स कॉर्प लिमिटेड, रिलायंस पेट्रोलियम, रिलायंस इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, रिलायंस जियो, रिलायंस रिटेल, नेटवर्क 18, रिलायंस LYF, मुंबई इंडियंस
रिलायंस का मौजूदा मार्केट कैप : 8.76 लाख करोड़ रुपए
मुकेश अंबानी की मौजूदा नेटवर्थ : 3.81 लाख करोड़ रुपए

  • देश की ई-कॉमर्स इंडस्ट्री 2020 तक 10 लाख करोड़ रुपए की हो जाएगी
  • इसी वजह से टेलीकॉम के बाद ई-कॉमर्स इंडस्ट्री पर फोकस कर रहे मुकेश अंबानी 
  • आनंद महिंद्रा के मुताबिक- रिलायंस का रिटेल बिजनेस और जियो का नेटवर्क अमेजन को कड़ी चुनौती देगा
  • मैगजीन ‘द इकोनॉमिस्ट’ के मुताबिक, भारत के जैक मा या जेफ बेजोस बनने की तैयारी में हैं अंबानी

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