क्या नाक में नींबू रस डालने से हो सकता है कोरोना का इलाज? जानिए वायरल दावे की सच्चाई

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कोरोना वायरस से खुद को सुरक्षित रखने के लिए सोशल मीडिया पर कई दावे वायरल हैं. हालांकि, उन दावों की सत्यता जरूरी है क्योंकि सभी सच नहीं हैं और बिना उचित ज्ञान और सबूत के अपनाने से फायदे के मुकाबले ज्यादा नुकसान हो सकता है.

भारत में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण और मौत के मामलों में भयावह उछाल ने खौफ पैदा कर दिया है. लोग वायरस से सुरक्षित रहने के लिए इलाज के तौर पर हर संभावित तरीके अपनाने की कोशिश कर रहे हैं. दूसरी लहर अपने साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल पोस्ट भी साथ लाई है, जिसमें देसी उपाय से लेकर आयुर्वेद और यूनानी इलाज का वीडियो और मैसेज वायरल शामिल है. उसके जरिए कोविड-19 के प्रभावी इलाज उपलब्ध कराने का दावा किया जा रहा है. इन उपायों या दावों में से कोई भी देश भर में स्वास्थ्य अधिकारियों के जरिए साबित या प्रमाणितनहीं किया गया है, लेकिन लोग निराशा में सुरक्षित रहने या अपने परिजनों को घातक बीमारी से बचाने के लिए प्रभावित हो रहे हैं.

दावा
इसी कड़ी में ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ‘नींबू थेरेपी’ के नाम से वायरल हो रहा है. इस थेरेपी के मुताबिक आपको अपनी नाक में नींबू का रस उड़ेलने की जरूरत होगी और ये घातक वायरस के संक्रमण का खात्मा कर सकता है. वीडियो में एक शख्स दावा करता है कि नींबू थेरेपी ना सिर्फ इम्यूनिटी बढ़ाती है बल्कि ये कोविड-19 संक्रमण का भी इलाज करती है. वायरल वीडियो में शख्स बताता है कि नींबू रस का 2-3 बूंद नाक में डालना आंख, नाक, गले और यहां तक कि दिल को भी पांच सेकंड के अंदर शुद्ध करेगा. वीडियो में शख्स को सुना जा सकता है कि इससे उन लोगों को भी राहत पहुंचेगी जो सर्दी और खांसी जैसी बीमारियों का सामना कर रहे हैं

सच्चाई
वीडियो की सत्यता जांचने की खातिर पीआईबी फैक्ट चेक के आधिकारिक ट्विटर पेज ने जांच पड़ताल की. विश्लेषण के बाद उसने खुलासा किया कि वीडियो में किया जा रहा दावा फर्जी है. इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि कोविड-19 का इलाज किया जा सकता है या नाक में नींबू का रस डालने से दूर किया जा सकता है. पीआईबी फैक्ट चेक ने वायरल वीडियो को ‘पूरी तरह फर्जी’ ये कहते हुए बताया कि नींबू थेरेपी इम्यूनिटी नहीं बढ़ाती है और न ही कोविड-19 संक्रमण को रोकती है. पीआईबी ने स्पष्ट तौर पर बताया है कि इस तरह के दावे बेबुनियाद हैं और लोगों को सलाह दी जाती है कि ऐसे उपायों का पालन न करें और उन नियमों और एहतियाती उपायों को अपनाएं जो डॉक्टर या मेडिकल पेशेवर की तरफ से प्रमाणित हैं.

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