इंदौर;प्रदेश में गैरअधिमान्यता प्राप्त मीडियाकर्मियों को भी फ्रंटलाइन वॉरियर्स घोषित करने की मांग लगातार तेज हो रही है। पत्रकारों के साथ कई संगठन भी इस मांग को उठा रहे हैं। गौरतलब है कि इंदौर में इस मांग को लेकर लगातार फील्ड में काम करने वाले पत्रकार मांग उठा रहे हैं। सीएम शिवराजसिंह चौहान ने सभी मीडियाकर्मियों को वैक्सीन लगाने की बात कही है, लेकिन अधिमान्य पत्रकारों को ही फ्रंटलाइन वॉरियर्स माना गया है। मीडिया में जमीनी स्तर पर काम करने वाले अधिकतर पत्रकारों को अधिमान्यता नहीं होने और अधिकतर प्रभावशील लोगों के कार्ड ही बनने की बात भी उठी है। जमीनी पत्रकारों के साथ कई संगठन भी खड़े हो गए हैं।
जनरल वेलफेयर एसोसिएशन ने सीएम को पत्र लिखकर मांग की है कि गैर अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को भी फ्रंटलाइन वॉरियर्स माना जाए, क्योंकि वे अपना जीवन दांव पर लगाकर कोरोना की रिपोर्टिंग कर रहे हैं। इसमे प्रेस फोटो ग्राफर से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कैमरामैन भी शामिल हैं। उन्हें भी फ्रंटलाइन वॉरियर्स माने जाने का आग्रह है। अध्यक्ष जवाहर चांदवानी व सचिव डॉ. महेश गुप्ता ने कहा कि प्रदेश में गैर अधिमान्यता पत्रकार होने के बावजूद अपने कर्तव्य का निर्वहन जन सेवा और सरकार की बात जनता तक पहुंचने में कर रहे हैं।
कोरोना से मृत्यु पर 50 लाख की मदद करें
कोरोना महामारी के बीच प्रदेश में संक्रमण काल में भी जान जोखिम में डालकर पत्रकार अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। ऐसे में केवल अधिमान्य पत्रकारों को फ्रंटलाइन वॉरियर्स घोषित करना शेष पत्रकारों के साथ अन्याय होगा। गैर अधिमान्य पत्रकारों के लिए जनसंपर्क विभाग में रजिस्टर्ड संस्थानों से लिखित में संस्थानों में कार्य करने वाले पत्रकारों की सूची बुलाई जाए, ताकि गैर अधिमान्य पत्रकारों को भी फ्रंटलाइन वॉरियर्स का दर्जा मिल सके।
साथ ही गैर अधिमान्य पत्रकारों का निःशुल्क चिकित्सा सुविधा ( पत्रकार व उसके परिवार का निजी अस्पताल में उपचार का सारा खर्च) सरकार वहन करें और कोरोना संक्रमण के कारण मृत्यु होने पर 50 लाख रुपए की आर्थिक मदद परिवार को करें। सरकार की इस छोटी सी मदद से पत्रकार निर्भीक होकर फील्ड पर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सकेगा। साथ ही अखबारों के प्लांट, सर्कुलेशन सहित सभी विभागों के कर्मचारियों का भी टीकाकरण की भी मांग की गई है।
एकजुट हो उठाएं आवाज
इंदौर प्रेस क्लब के कार्यकारिणी सदस्य अंकुर जायसवाल और वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद दभाड़े का कहना है कि पत्रकारों के खिलाफ दर्ज प्रकरण का विरोध और गैर अधिमान्य पत्रकार के समान फ्रंटलाइन वॉरियर्स घोषित किया जाना चाहिए। इसके लिए प्रदेश के पत्रकारों को एकजुट होना होगा। प्रदेश के प्रेस क्लबों, प्रेस यूनियन, पत्रकार संगठन को एकजुट होकर एक-दूसरे अध्यक्षों से चर्चा कर रणनीति बनाना चाहिए। एक ही दिन प्रदेश में धरना देकर सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाना चाहिए। एक ही दिन पूरे प्रदेश में हजारों पत्रकारों ने एक साथ धरना आंदोलन का शंखनाद कर दिया, तो सरकार तक निश्चित ही हमारी आवाज पहुंचेगी।
–मीडिया में जमीनी स्तर पर काम करने वाले अधिकतर पत्रकारों को अधिमान्यता नहीं होने और अधिकतर प्रभावशील लोगों के ही कार्ड बनने की बात भी उठी