भोपाल:मध्यप्रदेश में बढ़ते कोविड-19 के हमलों का असर सरकार पर पड़ने की पूरी संभावना है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी से जल्दी ही उनका विभाग छीना जाना है। कोविड का असर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान पर भी पड़ने की संभावना जताई जा रही है जिसके पीछे कुछ अन्य कारण भी है। यदि शिवराज जाते हैं तो नरेंद्रसिंह तोमर के प्रदेश की राजनीति में आने की प्रबल संभावना जताई जा रही है। चौधरी को बैलेंस करने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्र सरकार में जगह दी जा सकती है। सबकुछ ठीक रहा तो यह सारी प्रक्रिया मई अंत में शुरू हो सकती है।शिवराजसिंह चौहान सरकार को एक साल से ज्यादा प्रदेश की सत्ता संभाले हो गया। पिछली बार जब कोरोना वायरस का प्रदेश में आगमन हुआ ही था कि पीछे-पीछे भाजपा सरकार ने फिर से प्रदेश की कमान संभाली थी। पिछली बार कांग्रेस की कमलनाथ सरकार पर शिवराज ने आरोप लगाया था कि उन्होंने कोरोना से निपटने की तैयारी नहीं की थी इसलिए प्रदेश में कोरोना फैला। अब कोरोना की दूसरी लहर में पिछली बार से कहीं ज्यादा परेशानी लोग झेल रहे हैं जिससे अब पूरी बात शिवराजसिंह चौहान की सरकार पर ही आ रही है। वर्ष 2024 में फिर एक बार सरकार को जनता के बीच जाना है यानि तकरीबन ढाई साल बचा है। ऐसे में कोरोना से शिकार लोगों के सामने दोषी चेहरा पेश करना भाजपा के लिए चिंता का विषय रहेगा। चूंकि शिवराज का चेहरा 2019 के चुनाव में भी रखा गया था और भाजपा को मात भी मिली थी इसलिए आलाकमान में प्रदेश की राजनीति पर गहन चिंतन भी शुरू हो गया है। यदि शिवराजसिंह को बदला जाता है तो प्रदेश में उनके स्थान पर सत्ता संभालने के लिए कुछ नामों पर विचार किया जा सकता है जो डेमेज कंट्रोल कर सके। इसमें सबसे पहला नाम देश के कृषि मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर का है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुड बुक में भी हैं। कृषि कानून को लेकर हुए आंदोलन में तोमर ने जिस तरह से धैर्य का परिचय देकर आंदोलन की जो हवा निकाली उससे भाजपा का शीर्ष नेतृत्व खुश है। उनके प्रदेश की राजनीति में आने से सिंधिया खेमे के कुछ मंत्रियों को बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है जिसमें स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी प्रमुख है। पूरे कोरोनाकाल में चौधरी की भूमिका अचेत पड़े एंटीबॉडी की तरह रही जिसने सरकार पर बड़ा दाग लगाया है। उनसे ज्यादा सक्रिय तो भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय व प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र देखे गए। वैसे तो ये दोनों हमेशा ही किसी न किसी मुद्दे को लेकर सक्रिय होते हैं और यही कारण है कि इन्हें भी शिवराज के विकल्प के रूप में देखा जाता है। तोमर यदि फिर प्रदेश की सत्ता संभालने से पीछे हटे तो विजयवर्गीय व मिश्र के नाम सबसे आगे होंगे। पश्चिम बंगाल के चुनाव में भाजपा की स्थिति क्या होगी यह तो परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा लेकिन विजयवर्गीय ने जिस तरह से वहां मेहनत करके पार्टी को शीर्ष क्रम पर ला खड़ा किया उससे वे ईनाम के हकदार भी बन चुके हैं। विभिन्न राज्यों में उनकी लगातार मेहनत के बाद उनके समर्थक भी उनके लिए कोई अच्छे पद को लेकर उम्मीद लगाए हुए हैं। एक बात यह है कि शिवराजसिंह चौहान किसी भी तरह अपनी जमावट कर लेते हैं तो उन्हें मंत्रीमंडल पर विशेष ध्यान देना होगा क्योंकि कांग्रेस से भाजपा की कांचली ओढ़ने वाले मंत्री अभी तक भाजपा की कार्यशैली ही नहीं समझ पा रहे हैं जिन्हें दुरुस्त करना शिवराज के लिए बड़ा चैलेंज होगा।