पहले कर रहे घर पर इलाज, तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर जा रहे अस्पताल, नतीजा बढ़ रहा संकमण
स्वास्थ्य खराब होने पर लोग घर पर या झोलाछाप डॉक्टरों के यहां करा रहे उपचार
आइसोलेशन में उपचार ले रहे लोगों के संपर्क में रहने वाले भी बाजार में घूम कर बढ़ा रहे संकमण
गंजबासौदा। विकासखंड के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बाहर के संक्रमित क्षेत्रों से आने वाले लोगों की अब जानकारी नहीं मिल पा रही है। स्वास्थ्य खराब होने पर लोग घर पर या झोलाछाप डॉक्टरों के यहां उपचार करा रहे हैं। ज्यादा स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद ही शासकीय अस्पताल जांच कराने आ रहे हैं। इससे संक्रमण तेजी से फैल रहा है।
दूसरी ओर जो संक्रमित मरीज घरों में होम आइसोलेशन में उपचार ले रहे हैं। उनके संपर्क में आने वाले परिजन खुले आम बाजार में घूम रहे हैं। कई चोरी-छिपे कारोबार कर रहे हैं। दूसरे लोगों को संक्रमित कर रहे हैं। इससे संक्रमण का दायरा बढ़ रहा है। इसे रोकने के लिए पिछले साल की तरह राजनीतिक इच्छा शक्ति प्रशासनिक सख्ती जरूरी है।
संक्रमित क्षेत्रों से आने पर संक्रमण बढ़ा
पिछले साल प्रशासन ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर सर्वे कराया था। इससे पता चलता था कि बाहर से कौन कहां से आया है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान इस साल यह व्यवस्था नहीं है। आवागमन पर भी कोई रोक नहीं हैं। जांच की पहले जैसी व्यवस्था नहीं है। पहले जो वापस आए थे। हालात ठीक होते ही वापस चले गए थे। महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड, भोपाल, इंदौर में कोरोना की दूसरी लहर के बाद प्रशासनिक सख्ती आई। संक्रमित क्षेत्रों से लोग आए। इसके बाद ही नगर में संक्रमण की गति बढ़ी।
घूम रहे बाहर और घरों में उपचार
पिछले साल बाहर से आने वाले लोगों को होम क्वॉरेंटाइन में रखा जाता था। जिससे संक्रमण का पता चले लेकिन लापरवाही के चलते अब बाहर से आकर घूम रहे हैं। परिवार के साथ-साथ रहे रहे हैं। तबीयत बिगड़ने पर घर पर उपचार ले रहे या फिर नीम हकीम की शरण में जा रहे। ज्यादा हालत खराब होने पर जांच कराने. मजबूर हो रहे हैं, तब तक देर होने से स्थिति बेकाबू हो रही है। यह बात हाल ही में सामने आई है।
पिछले साल जितनी मृत्यु हुई, उतनी इस साल 20 दिन में हो चुकी है
संक्रमण के कारण जितनी मौत एक साल में हुई, उतनी विकासखंड में पिछले 20 दिनों में हुई है। इनमें से कई ऐसे भी हैं, जिनकी घर पर उपचार के दौरान मौत हुई, लेकिन संक्रमण का कारण निजी कारणों से छिपाया गया। दीगर बीमारियों को मृत्यु का कारण बताया, बाद में इसका खुलासा हुआ।
सुरक्षा की दृष्टि से प्राइवेट अस्पतालों पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत
सामाजिक कार्यकर्ता बसंत अग्रवाल, शिवशरण रघुवंशी का कहना है कि सामान्य गंभीर मरीजों के लिए प्राइवेट अस्पतालों में इन दिनों ऑक्सीजन नहीं है। इससे अन्य मरीजों को दिक्कत आ रही है। यह अस्पताल भी ऐसे मरीजों को भर्ती करने से मना करने लगे हैं। इसके चलते प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को जन स्वास्थ सुरक्षा की दृष्टि से इस पर ध्यान देने की जरूरत है। बाहर अस्पतालों का बुरा हाल है। गंभीर मरीजों को न पलंग मिल रहे हैं ऑक्सीजन, इसलिए प्राइवेट अस्पतालों पर भी ध्यान दिया जाए। जिससे आम गंभीर लोगों को उपचार मिल सके।
गंजबासौदा से ओमप्रकाश चौरसिया की रिपोर्ट