देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। स्थिति इमरजेंसी जैसी बन चुकी है। संक्रमण का आंकड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा आ रहे हैं। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार अपने-अपने स्तर पर इसे रोकने और निपटने के लिए हर संभव कोशिश करने में जुटी है। भारत में कोरोना वैक्सीनेशन अभियान भी शुरू हो गया है। एक मई से 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को भी टीका लगना शुरू हो जाएगा। वहीं ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने एक बड़ा फैसला लिया है। डीजीसीआईने वयस्कों में कोविड-19 के इलाज के लिए जायडस कैडिला की विराफिन के आपातकालीन उपयोग को मंजूरी दी है। जिन लोगों में कोरोना के हल्के लक्षण दिखाई देते हैं, उन्हें यह दवा 7 दिन में ठीक कर सकती है।
बता दें जायडस कैडिला गुजरात के अहमदाबाद शहर की दवा निर्माता कंपनी है। कंपनी ने कहा है कि Pegylated Interferon Alpha-2b, Virafin के कोरोना पॉजिटिव मरीजों में इमरजेंसी उपयोग में काफी सहायता मिलेगी। जायडस कैडिला ने कहा, हॉस्पिटलों में विराफिन मेडिसिन उपलब्ध कराई जाएगी। यह एक एंटीवायरल दवा है।
देश में लगे 13.5 करोड़ टीके
टीकाकरण अभियान में गुरुवार शाम तक 13.5 करोड़ टीके लगाए जा चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार गुरुवार सुबह 8 बजे तक 13,53,46,729 वैक्सीन लग चुके हैं। जिसमें 92,41,384 स्वास्थ्य कर्मियों को पहली और 59,03,368 कर्मचारियों को दूसरी डोज लगी है। 45 साल से 60 वर्ष की आयु के 4,55,10,426 लोगों को पहली वैक्सीन और 18,91,160 को दूसरी डोज लगी। 60 वर्ष से ऊपर के 4,85,01,906 लोगों को पहली और 64,97,155 को दूसरी वैक्सीन दी गई।
रेमडेसिविर इंजेक्शन पर एम्स ने कहा
देश के विभिन्न हिस्सों में रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर मारामारी हो रही है। यहां तक की इसकी कालाबाजारी तक होना शुरू हो गई है। कोरोना संक्रमितों के लिए इसे रामबाण माना जा रहा है। लेकिन एम्स ने इन दावों को खारीज कर दिया है। एम्स ने कोविड मरीजों के इलाज के प्रोटोकाल में बदलाव किए। जिसमें कम गंभीर संक्रमितों के उपचार में रेमडेसिविर का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इसकी जगह बुडेसोनाइडर इनेहलर का इस्तेमाल होगा।