“अपंग शहर की बेबस जनता”

सम्पादकीय

“अपंग शहर की बेबस जनता”
कोरोना कॉल की महामारी में जिस तरह से लोग परेशान हो रहे हैं अपनों के लिए, अपने चाहने वालों के लिए, तथा स्वयं की भी कोई मदद नहीं कर पा रहे हैं। आप समझ सकते हैं जिस तरह का यह मंजर इस वक्त चल रहा है, यह कोई रियल लाइफ की तरह ना होकर रील लाइफ की तरह चल रहा है। आप जिधर देखेंगे ,जहां देखेंगे , जितनी दूर तक देखेंगे, आपको सिर्फ खौफनाक मंजर ही देखने को मिलेगा। आप किसी भी शहर में चले जाएं लोगों को ना तो बिस्तर मिल रहा है, ना ऑक्सीजन मिल रही है ,ना इंजेक्शन मिल रहे हैं ,और जो भी मिल रहा है वह कालाबाजारी के द्वारा मिल रहा है। मैं आपको एक ऐसा वाक्य सुनाने जा रहा हूं कि आपके सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे एक हमारे परिचित के, मित्र थे उनकी माता जी को ऑक्सीजन लेवल 60 से 65 के बीच आ गया,पूरा परिवार पूरी तरह से अपसेट था। उन्होंने पिछले 5 दिनों से सभी प्रयास कर डाले। जहां जहां वह जा सकते थे,MY से लेकर हर छोटे बड़े अस्पताल गए, किसी भी जगह उन्हें बिस्तर नहीं मिला, फिर किसी तरीके से उनको मेरी याद आई और उन्होंने मुझे फोन लगाया रोते हुए उन्होंने कहा किसी भी तरह से आप मेरी मदद करिए। मैं आपका जीवन भर एहसानमंद रहूंगा मैंने कहा ऐसी कोई बात नहीं आप धीरज रखिए। हम प्रयास करते हैं आपके लिए साथ ही साथ मैंने उनको इस शहर का आईना दिखाने के लिए इस शहर के बड़े से बड़े अधिकारी और बड़े से बड़े नेताओं के नंबर भी दिए कि आप भी इनसे एक बार निवेदन कर लीजिए। शायद यह आपकी मदद कर दे। लेकिन इस शहर के जितने भी मठाधीश थे किसी ने भी उनकी मदद नहीं की। फिर उनका फोन आया कि भैया कुछ मेरी मदद करिए। मैंने कहा चिंता मत करिए मैं आपको कुछ एक दो जगह भेज रहा हूं आप चले जाइए शायद आपकी वहां मदद हो जाए और भगवान ने उनकी मदद की. जैसे तैसे उनको एक बेड दिलवाया। बेड तो मिल गया लेकिन ऑक्सीजन नहीं, इंजेक्शन नहीं, जो इंजेक्शन 1000 हजार या ₹2000 में मिल जाना चाहिए। वह इंजेक्शन उन्होंने ₹20,000 में खरीद कर जैसे तैसे अपनी माताजी को लगवाया। अब आप समझिये शहर की स्थिति कितनी विकराल है। आपकी मदद करने के लिए कोई भी नेता या अधिकारी सामने नहीं आएगा। यह तो एक ऐसी महामारी है जिसमें अच्छे और बुरे का पहचान तो होगा ही साथ में जिन बड़े लोगों पर आश रखते हैं। उनसे कभीआश मत रखिए। आपस में एक दूसरे से मिलकर जितनी आप मदद कर सकते वही आपको मदद मिल सकती है। नहीं तो इस अपंग शहर की बेबस जनता यूं ही रोती रहेगी, यूं ही रोती रहेगी
जब सब कुछ सामान्य हो जाए उसके बाद शहर और प्रदेश की जनता को इन अधिकारियों और नेताओं से सवाल जरूर करना चाहिए और उनके उत्तर जब तक नहीं मिले तब तक आप इनको अपने दरवाजे पर भी मत खड़े होने दें।

संपादकआशुतोष द्विवेदी

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