दुनिया के 13वें सबसे रईस शख्स मुकेश अंबानी जियो के जरिये भारत में दूरसंचार क्षेत्र की तस्वीर पूरी तरह बदलने के बाद अब रियल एस्टेट में भी कुछ ऐसा ही धमाका करने जा रहे हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने मुंबई के निकट एक विश्वस्तरीय मेगासिटी तैयार करने का ब्लूप्रिंट लगभग तैयार कर लिया है। बिजनस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है। यही मेगासिटी कितनी बड़ी होगी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह रिलायंस ग्रुप का एकमात्र सबसे बड़ा प्रॉजेक्ट होने जा रहा है, जिसका हर हिस्सा अपने आप में एक प्रॉजेक्ट होगा।
सिंगापुर की तर्ज पर होगा डिवेलप
अंबानी का मेगासिटी सिंगापुर की तर्ज पर डिवेलप होगा। इसमें एयरपोर्ट, पोर्ट तथा सी लिंक कनेक्टिविटी भी होंगे। इसमें पांच लाख से अधिक लोग रह सकेंगे। यही नहीं, इस शहर में हजारों कंपनियां भी होंगी। इस प्रॉजेक्ट के डिवेलपमेंट में एक दशक में लगभग 75 अरब डॉलर की लागत आ सकती है।
रियल एस्टेट की बदलेगी तस्वीर
अंबानी अपनी इस महत्वाकांक्षी परियोजना को बेहद व्यापक स्तर पर लॉन्च कर सकते हैं, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया होगा। विश्लेषकों का कहना है कि रियल एस्टेट के क्षेत्र पर इस प्रॉजेक्ट का वही असर हो सकता है, जैसा दूरसंचार क्षेत्र पर जियो की वजह से हुआ। कुल मिलाकर, रिलायंस का यह प्रॉजेक्ट भारत में नई इबारत लिख सकता है, क्योंकि समस्त शहरी बुनियादी ढांचे की जो तस्वीर है, उसे यह पूरी तरह बदल सकता है।
कम होगी मकानों की कीमत
रिपोर्ट ने रियल एस्टेट के एक शीर्ष विश्लेषक का हवाला देते हुए कहा है कि इस शहर के अस्तित्व में आने के बाद मुंबई की तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है। उन्होंने कहा कि नया शहर रिवर्स माइग्रेशन का कारण बन सकता है, क्योंकि इसकी कीमतें मुंबई के रियल एस्टेट कंपनियों द्वारा बेचे जा रहे मकानों की तुलना में काफी कम होगी।
रिलायंस करेगी शहर के प्रशासन पर नियंत्रण
इस प्रॉजेक्ट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह न सिर्फ खुद इस प्रॉजेक्ट को डिवेलप करेगी, बल्कि शहर तैयार होने के बाद वह उसके प्रशासन को भी नियंत्रित करेगी। ऐसा ‘स्पेशल प्लानिंग अथॉरिटी’ लाइसेंस की वजह से होगा, जो कंपनी को इस ऐतिहासिक परियोजना के लिए मिला है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस लाइसेंस से अंबानी को न सिर्फ बेहद कम लालफीताशाही का सामना करना पड़ेगा, बल्कि शहर को डिवेलप करने की लागत भी कम होगी।
धीरूभाई अंबानी ने देखा था सपना
रिलायंस ग्रुप के संस्थापक धीरूभाई अंबानी पहली बार नवी मुंबई में एक विश्वस्तरीय शहर बसाने का आइडिया लेकर आए थे। उन्होंने 80 के दशक में इस तरह के प्रॉजेक्ट के बारे में विचार किया था। अगर अंबानी का यह प्लान सफल होता तो मुंबई को काफी पहले ही भारी भीड़भाड़ से आजादी मिल चुकी होती।
लीज पर ली 4,000 एकड़ जमीन
रिलायंस ने वैश्विक स्तर का एक इकनॉमिक हब डिवेलप करने के लिए पिछले महीने की शुरुआत में नवी मुंबई एसईजेड (NMSEZ) से 2,100 करोड़ रुपये के शुरुआती भुगतान पर 4,000 एकड़ जमीन को लीज पर लेने के बारे में घोषणा की थी। एनएमएसईजेड ने विश्वस्तरीय एसईजेड डिवेलप करने के लिए साल 2006 में यह जमीन दी थी।
एनएमएसईजेड को मुकेश अंबानी, जय कॉर्प इंडिया, स्कील इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और सिटी ऐंड इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट कॉर्प (CIDCO) प्रमोट करते हैं। पीटीआई की एक स्टोरी के मुताबिक, एनएमएसईजेड में CIDCO की हिस्सेदारी 26 फीसदी, जबकि बाकी हिस्सेदारी अंबानी, आनंद जैन की जय कॉर्प और निखिल गांधी की स्कील इंफ्रस्ट्रक्चर की है।