भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2019-20 की पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा (monetary policy) के दौरान नीतिगत दरों में 25 आधार अंक (0.25%) की कटौती कर दी है। अब रीपो रेट 6.25 फीसदी से घटकर 6 फीसदी पर पहुंच गई है। विश्लेषकों का मानना था कि महंगाई में गिरावट से आरबीआई को अर्थव्यवस्था के विकास से जुड़ी चिंता पर विचार करने का मौका मिल सकता है। बार-बार आने वाले वृहद आर्थिक आंकड़ों जैसे कारों की बिक्री, पीएमआई तथा आईआईपी आंकड़ों से आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती का संकेत मिल चुका है।
जुलाई 2018 में इकाई अंक में 7.3 फीसदी की उच्च विकास दर हासिल करने के बाद कोर सेक्टर की विकास दर में लगातार गिरावट आई है। हालांकि कोर सेक्टर के कुछ उद्योगों ने हाल में बढ़िया प्रदर्शन भी किया है। एमपीसी ने फरवरी में की गई अपनी समीक्षा में मौद्रिक नीति के रुख को ‘नपी-तुली सख्ती’ से बदलकर ‘तटस्थ’ कर दिया था। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह इस बार नीतिगत दरों में कटौती का संकेत था।
आरबीआई (RBI) ने इससे पहले फरवरी में द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा (monetary policy) में रेपो दर (Repo Rate) में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। यह कटौती करीब डेढ़ साल के अंतराल के बाद की गई थी। विशेषज्ञों के अनुसार रेपो दर में कटौती से चुनावी मौसम में कर्ज लेने वालों को राहत मिलेगी। रेटिंग कंपनी इक्रा ने कहा कि हम इस सप्ताह होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के मुख्य अर्थशास्त्री तथा कार्यकारी निदेशक सुजन हाजरा ने कहा कि कमजोर वृद्धि परिदृश्य तथा मुद्रास्फीति में नरमी को देखते हुए रिजर्व बैंक की अगली मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में कटौती नहीं होने का कोई कारण नहीं है। मुझे लगता है कि सवाल यह है कि क्या बैंक ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत से अधिक कटौती करेगा।
रेपो रेट कम होने से बैंकों को आरबीआई से सस्ती फंडिंग प्राप्त हो सकेगी, इसलिए बैंक भी अब कम ब्याज दर पर होम लोन, कार लोन सहित अन्य लोन ऑफर कर पाएंगे। इसका फायदा उन लोगों को भी मिलेगा जिनकी होम लोन या ऑटो लोन चल रही है। दरअसल, रेपो रेट कटौती के बाद बैंकों पर होम या ऑटो लोन पर ब्याज दर कम करने का दबाव बनेगा। बता दें कि आरबीआई के नए नियमों के बाद बैंकों को रेपो रेट कटौती का फायदा आम लोगों को देना ही होगा। ऐसे में अगर आपका होम या ऑटो लोन चल रहा है तो उसकी ईएमआई कम हो जाएगी।
बाजार इन्फ्लेशनरी एक्सपेक्टेशन पर आरबीआई के दिशा-निर्देशों पर नजर रखेगा। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अल नीनो के असर के कारण जून-सितंबर दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन पर नकारात्मक असर की बात कही है। इस मॉनसून से देश में 70 फीसदी बारिश होती है। वहीं, मुद्रास्फीति आरबीआई के चार फीसदी के लक्ष्य से लगातार सातवें महीने कम रही है और पूरे वित्त वर्ष के लिए इसके औसत चार फीसदी पर रहने की उम्मीद है। लेकिन कोर इन्फ्लेशन 5.5 फीसदी के करीब है।