नई दिल्ली। कोरोना के मामलों में वृद्धि के बीच केंद्रीय कृषिषमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दिल्ली की सीमाओं पर लंबे समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे कृषिष कानून विरोधी आंदोलनकारियों से अपना आंदोलन वापस लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि जब भी वे किसी ठोस प्रस्ताव के साथ आएंगे तो सरकार चर्चा के लिए तैयार है।
केंद्र के तीनों नए कृषिष कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारी पिछले लगभग पांच महीनों से आंदोलन कर रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच 22 जनवरी को हुई औपचारिक वार्ता के 11वें और अंतिम चरण के बाद भी इस मुद्दे का कोई समाधान नहीं निकल सका था। तोमर ने प्रदर्शनकारियों के स्वास्थ्य के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जब महामारी की दूसरी लहर में पूरा देश और दुनिया कोरोना प्रोटोकाल का पालन कर रही है। विरोध करने वाले आंदोलनकारियों को भी प्रोटोकाल का पालन करना चाहिए। उनका जीवन हमारे लिए महत्वपूर्ण है।केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि नए कृषि कानूनों को लेकर देशभर में किसान समुदाय में असंतोषष नहीं है और यहां तक कि कई कृषिष निकाय इन कानूनों के पक्ष में हैं, जबकि कुछ उनका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हम एक लोकतांत्रिक देश हैं, चाहे वे किसान हों या नागरिक, अगर उन्हें कोई संदेह है तो सरकार का मानना है कि यह उसकी जिम्मेदारी है कि वह शंकाओं का समाधान करे।’
तोमर ने कहा कि तीनों कानूनों को अचानक तैयार नहीं किया गया था और पूर्व में एक लंबी चर्चा हुई थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर कोई विरोध तब जारी रहता है जब सरकार बातचीत के लिए तैयार नहीं होती। लेकिन इस सरकार ने आंदोलनकारियों के प्रतिनिधियों के साथ खुले दिल से 11 दौर की चर्चा की, फिर भी उनका आंदोलन नहीं रका।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हमने प्रस्ताव दिया कि इन कानूनों और एमएसपी (मुद्दे) पर गौर करने के लिए एक समिति गठित की जाए। समिति द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद सरकार चर्चा करेगी। देशभर में इस प्रस्ताव का स्वागत किया गया था, लेकिन आंदोलनकारियों ने किसी कारण का हवाला दिए बिना इसे अस्वीकार कर दिया।’ उन्होंने कहा, ‘हमने कृषिष यूनियनों को अपना खुद का प्रस्ताव लाने के लिए कहा था और हम उस पर भी चर्चा के लिए तैयार थे।’ उन्होंने कहा कि सरकार आज भी वार्ता के लिए तैयार है। तोमर ने यह भी कहा, आंदोलनकारियों को समझना चाहिए कि आम नागरिकों को सीमा पर उनके विरोध के कारण कठिनाई का सामना करना प़़ड रहा है।