सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया के ज़रिए बताया कि उन्हें ‘देश की निस्वार्थ सेवा, आर्थिक और सामाजिक तौर पर देश का विकास करने के लिए’ फ़िलिप कोट्लर प्रेसिडेन्शियल अवार्ड दिया गया है.
उनकी वेबसाइट में बताया गया है कि ये अवार्ड पहली बार किसी को दिया गया है और प्रधानमंत्री के ब्लॉग के अनुसार इसके मूल में जो भावना है वो ‘पीपल, प्रोफ़िट एंड प्लानेट’ (लोग, लाभ और धरती) से प्रेरित है.
फिलिप कोट्लर अवार्ड की वेबसाइट के अनुसार मार्केटिंग, कम्यूनिकेशन और बिज़नेस मैनेजमेन्ट की दुनिया में अपनी छाप छोड़ने वालों को सम्मानित करने के लिए ये दिया जाता है.
मोदी के ट्विटर हैंडल पर तस्वीरें आने के बाद भाजपा के कई नेताओं ने इसके लिए उन्हें बधाई दी और इसे सम्मानजनक कहा.
लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोशल मीडिया में इसे लेकर तंज कसा.
उन्होंने लिखा, “प्रधानमंत्री मोदी को फिलिप कोट्लर प्रेसिडेन्शियल अवार्ड मिलने की बधाई. ये इतना जाना माना अवार्ड है कि इसके लिए ना तो कोई ज्यूरी है, ना ही पहले कभी किसी को दिया गया है ओर इसके पीछे अलीगढ़ की एक कंपनी है जिसका नाम आज तक कोई नहीं जानता.”
इसके कुछ देर बाद स्मृति ईरानी के इसके उत्तर दिया और लिखा, “ये टिप्पणी एक ऐसे व्यक्ति की है जिनके परिवार ने खुद ही भारत रत्न लेने का फैसला लिया था.”
ख़ैर नेताओं के तानों के बीच ये बात साफ़ हो गई कि, इस ‘फिलिप कोट्लर अवार्ड’ ने ये बहस तो छेड़ दी है कि आख़िर ये अवॉर्ड है क्या और क्या पहली बार ये किसी को दिया गया है.
फिलिप कोट्लर कौन हैं?
ये अवॉर्ड प्रोफेसर फिलिप कोट्लर के नाम पर आधारित है जो अमरीका के जॉर्जिया में मौजूद केलॉग्स स्कूल ऑफ़ मैनेजमेन्ट में बीते 50 साल से मार्केटिंग पढ़ाते हैं.
केलॉग्स युनिवर्सिटी की वेबसाइट के अनुसार कोट्लर ने हार्वर्ड और शिकागो युनिवर्सिटी से पढ़ाई की है और बाद में एमआईटी से उन्होंने डॉक्टरेट की (1956) उपाधि मिली है.
87 साल के फिलिप कोटलर को ‘मॉडर्न मार्केटिंग का जनक’ और ‘मार्केटिंग गुरु’ भी कहा जाता है.
माना जाता है कि उनकी लिखी सबसे अहम किताब उनकी आत्मकथा ‘माय एडवेन्चर्स इन मार्केटिंग’ है जिसमें मार्केटिंग के भविष्य के बारे में बताया गया है.
फिलिप कोट्लर अवार्ड क्या है?
कोट्लर अवार्ड की वेबसाइट के अनुसार जो संस्था ये अवार्ड देती है उसका नाम है वर्ल्ड मार्केटिंग समिट ग्रुप. ये कनाडा के टोरंटो में एक स्वतंत्र संस्था है जिसकी स्थापना फिलिप कोट्लर ने साल 2010 में की थी.
अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग संगठन के अनुसार 6 दिसंबर 2017 को पहली बार ‘कोट्लर अवॉर्ड’ दिया गया था. ये कार्यक्रम दक्षिण कोरिया के शिला होटल में आयोजित किया गया था.
लेकिन पहली बार इस साल ‘फिलिप कोट्लर प्रेसिडेन्शियल अवार्ड’ दिया गया है जिसके लिए मोदी को चुना गया है.
क्यों दिया पीएम मोदी को ये अवॉर्ड?
वर्ल्ड मार्केटिंग समिट ग्रुप हर साल दुनिया के अलग-अलग देशों में फिलिप कोट्लर मार्केटिंग फोरम का आयोजन करती है. 14 दिसंबर 2018 में भारत में फोरम का आयोजन किया गया था.
इसके लिए भारत में ससलेन्स रिसर्च इंटरनेशन इंस्टीट्यूट के साथ हाथ मिलाया था जो 6 सितंबर 2017 में अस्तित्व में आई थी. यानी इसे आज 1 साल 4 महीने मात्र हुए हैं.
भारतीय कंपनियों के बारे में जानकारी रखने वाली वेबसाइट जॉबा के अनुसार अलीगढ़ के दोदपुर में मौजूद ससलेन्स कंपनी कानपुर में पंजीकृत है.
कंपनी के वेबसाइट के अनुसार कंपनी ने कोट्लर इम्पैक्ट के साथ क़रार किया है जिसके अनुसार तीन साल तक वो भारत में इस फोरम का आयोजन करने वाली है.
हालांकि उन्होंने जिस @WMC_India के हैंडल को अपने ट्वीट में टैग किया है उस पर अब तक कुछ पोस्ट नहीं किया गया है.
इस हैंडल का एक ही फॉलोअर है और ये 9 लोगों को फॉलो करता है जो सभी बड़े भारतीय व्यवसायी हैं.
मोदी को अवार्ड दिए जाने की वजह कुछ-कुछ साफ़ होती है प्रोफेसर मार्क ओप्रेस्निक के ट्वीट से. मार्क ओप्रेस्निक कोट्लर इम्पैक्ट कंपनी के चीफ़ रिसर्च ऑफ़िसर हैं.
उन्होंने ट्वीट किया है, “आने वाले वक्त में जब भारत में फोरम का आयोजन होगा उस वक्त आपसे मुलाक़ात की इच्छा है.”
हमने ससलेन्स कंपनी की वेबसाइट देखने की कोशिश की, जो फ़िलहाल नहीं खुल रही है.
हमने वेबसाइट का आर्काइव पन्ना देखा और उसमें मौजूद नंबरों पर संपर्क कर जनकारी लेनी चाही तो पता चला कि जिस व्यक्ति के नंबर वहां पर है वो वहां काम नहीं करते.
हमें बताया गया कि कंपनी के निदेशक डॉ तौसीफ सिद्दिकी ज़िया इस बारे में अधिक जानकारी दे सकते हैं.
डॉ तोसीफ से हमारा संपर्क नहीं हो सका. हालांकि द वायर के अनुसार इस अवॉर्ड पर उनका कहना था कि “ये बेहद गोपनीय पुरस्कार है.”
साथ ही वर्ल्ड मार्केटिंग समिट 2018 इंडिया का पन्ना भी फ़िलहाल नहीं खुल रहा है.