यूपी(औरैया): हिंदी भाषाअपने देश में उपहासी-कवि प्रशांत अवस्थी

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आज विश्व हिंदी दिवस है पूरे विश्व में हिंदी प्रेमी बड़े ही उल्लास के साथ इस पर्व के रूप में मना रहे हैं। हम केवल यह पर्व मनाकर ही अपने दायित्व की पूर्ति नहीं कर सकते बल्कि हमें हिंदी को अपने दैनिक दिनचर्या की भाषा के रूप में स्वीकार करना होगा। हमें गर्व के साथ हिंदी भाषा को अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी सिखाना चाहिए। हिंदी हमारी संस्कृति की परिचायक है ।हिंदी के विकास से हमारी संस्कृति के उत्थान का मार्ग प्रशस्त होता है। आज हिंदी भाषी क्षेत्र द्वारा ही हिंदी को गर्व के साथ स्वीकार न करना चिंतनीय है।
एक मुक्तक

केवल जनवरी औ सितंबर ,में होती उल्लासी है
पत्ता पत्ता सींचा जाता, जड़े हमेशा प्यासी हैं
कैसे कर लें कोशिश इसको, हम जग में फैलाने की
हिंद देश में अनुपम भाषा, हिंदी ही उपहासी है।

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