प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को करीब तीन हजार करोड़ रुपये की लागत वाली कोच्चि-मंगलुरु प्राकृतिक गैस पाइपलाइन का वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया गया। साथ ही प्रधानमंत्री ने ऊर्जा क्षेत्र को लेकर अपनी सरकार का रोडमैप भी साझा किया। इस रोडमैप में उन्होंने ऊर्जा के उपभोग में स्वच्छ प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी दोगुनी से अधिक करने, ऊर्जा के स्रोतों को विविध बनाने, पूरे देश को एक गैस पाइपलाइन ग्रिड से जोड़ने और लोगों व उद्यमों को किफायती ईंधन उपलब्ध कराने की बात कही।
पीएम ने बताया कि पांच-छह साल में प्राकृतिक गैस पाइपलाइन के नेटवर्क को दोगुना कर करीब 32 हजार किलोमीटर का बनाया जा रहा है। वहीं, गुजरात में सौर व पवन ऊर्जा को मिलाकर दुनिया के सबसे बड़े हाइब्रिड अक्षय ऊर्जा संयंत्र के लिए कार्य चल रहा है। साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों व जैव ईंधन के विनिर्माण पर जोर दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार स्वच्छ, किफायती और टिकाऊ ऊर्जा उपलब्ध कराने पर काम कर रही है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि 10 साल की अवधि में गन्ना व दूसरे कृषि उत्पादों से तैयार इथेनॉल लगभग 20 फीसद पेट्रोल का स्थानापन्न कर देगी। यह ईंधन की जरूरतों को पूरा करने के लिये तेल के आयात पर देश की निर्भरता को कम करने के साथ ही कार्बन उत्सर्जन की मात्रा को भी घटाएगा। पीएम ने बताया कि ऊर्जा बास्केट में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को मौजूदा 6.2 फीसद से बढ़ाकर 15 फीसद तक ले जाना सरकार का लक्ष्य है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में वाहनों में सीएनजी का इस्तेमाल 1992 के आस-पास ही शुरू हो गया था, लेकिन साल 2014 तक देश में 900 सीएनजी स्टेशन ही लगाये जा सके थे। इसके बाद पिछले छह साल में सीएनजी स्टेशनों की संख्या बढ़कर 1,500 हो गयी। उन्होंने कहा कि अब हमारा लक्ष्य इनकी संख्या बढ़ाकर 10 हजार करना है। पीएम ने कहा कि साल 2014 तक 25 लाख घरों के पास ही रसोई गैस के लिये पाइप (प्राकृतिक गैस) कनेक्शन थे। अब ये बढ़कर 72 लाख घरों तक पहुंच गये हैं।