बिहार, तमिलनाडु में गठबंधन की तस्वीर बदली,5 साल में यूपीए में 15, एनडीए में 8 दल बढ़े

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पांच साल पहले लोकसभा चुनाव के वक्त भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में दलों की संख्या 27 थी और इसके 336 सांसद थे। अब एनडीए के कुनबे में दलों की संख्या बढ़कर 35 हाे चुकी है। वहीं, यूपीए में 2014 में 13 दल थे। अब यूपीए के पास 28 दल हैं। पांच साल में गठबंधन की तस्वीर में बड़ा बदलाव बिहार और तमिलनाडु में आया है। यही दो राज्य 2019 के चुनाव नतीजों की तस्वीर भी तय कर सकते हैं।

बिहार और तमिलनाडु में कुल 79 लोकसभा सीटें हैं। इनमें पिछली बार अन्नाद्रमुक को सबसे ज्यादा 37 सीटें मिली थीं। लेकिन इस बार वह सिर्फ 20 सीटाें पर चुनाव लड़ रही है। भाजपा ने बिहार में 22 सीटें जीती थीं। इस बार वह राज्य में 17 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है। इन दोनों राज्यों के अलावा उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा ने अलग गठबंधन बनाया है जो प्रदेश की 80 सीटों के नतीजों पर असर डाल सकता है।

बिहार में पिछली बार भाजपा के साथ नहीं थी जदयू

    • तब : भाजपा के साथ रालोसपा और लोजपा एनडीए का हिस्सा थी। राज्य की 40 सीटों में से भाजपा को 22, लोजपा को 6, रालोसपा को 3 सीटें मिली थीं। जदयू ने एनडीए और यूपीए से अलग चुनाव लड़ा था।
    • अब : रालोसपा एनडीए से अलग होकर राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा हो चुकी है। एनडीए में भाजपा-जदयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। छह सीटों पर लोजपा चुनाव लड़ रही है। वहीं, यूपीए में राजद 20, कांग्रेस 9, रालोसपा 5, जीतनराम मांझी की हम 3 और वीआईपी 3 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
  1. तमिलनाडु में द्रमुक, अन्नाद्रमुक पिछली बार किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं थे
    • तब : राज्य की 39 सीटों में से 37 पर अन्नाद्रमुक जीती थी। एक-एक सीट भाजपा और पीएमके को मिली थी। कांग्रेस, द्रमुक और अन्य दल खाली हाथ रहे थे।
    • अब : अन्नाद्रमुक प्रमुख जे. जयललिता और द्रमुक प्रमुख करुणानिधि का निधन हो चुका है। राज्य में अन्नाद्रमुक सरकार में है, लेकिन पिछली बार 37 सीटें जीतने के बावजूद उसने अपनी जमीन बचाए रखने के लिए समझौता किया है। एनडीए में अब अन्नाद्रमुक 20, भाजपा 5, पीएमके 7 और डीएमडीके 4 सीटों पर लड़ेगी। यूपीए में द्रमुक 20, कांग्रेस 9, लेफ्ट 4, वीसीके 2 और एमडीएमके, आईजेके, मुस्लिम लीग और केडीएमके 1-1 सीट पर लड़ेगी।
  2. एनडीए : 2014 में 27 दल थे, सीटें 336 थीं2014 में भाजपा (282) के साथ, शिवसेना (18), तेदेपा (16), लोजपा (6), अकाली दल (4), रालोसपा (3), अपना दल (2), स्वाभिमानी पक्ष (1), पीएमके (1), एआईएनआर कांग्रेस (1), एनपीएफ (1), एनपीपी (1) और डीएमडीके, एमडीएमके, आरपीआई (अठावले), आरएसपी केरल (बोलसेविक), रासपा, हजकां, एमपीपी, एमएनएफ, केएमडीके, आईजेके, यूडीएफ, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा, एमजीपी, जेएसपी, एनजेपी एनडीए में शामिल थे।
  3. कुल 21 सांसदों वाले 6 दल 2014 के बाद एनडीए से अलग हो गए16 सीटों वाली तेदेपा, 3 सांसदों वाली पीडीपी, जिसने राज्य में बाद में भाजपा के साथ सरकार बनाई थी, और एक सांसद वाली एनपीएफ 2018 में एनडीए से अलग हुई। एक सांसद वाली स्वाभिमानी पक्ष ने 2017 में एनडीए का साथ छोड़ा था। 2014 में हरियाणा जनहित कांग्रेस और एमडीएमके भी एनडीए से अलग हुए। इनके लोकसभा सदस्य नहीं थे। 
  4. 2019 : एनडीए में 35 दल, इनके पिछली बार 353 सांसद थेअब भाजपा (282) के साथ शिवसेना (18), अन्नाद्रमुक (37 सीटों वाला नया दल), जदयू (2 सीटों वाला नया दल), लोजपा (6), अकाली दल (4), अपना दल (2), अगपा, एआईएनआर कांग्रेस (1), एनपीपी (1), पीएमके, डीएमडीके, अजासू, आरपीआई (अठावले), बीपीएफ, एनडीपीपी, एमजीपी, जीपीएफपी, आईपीएफटी, एमपीपी, केपीपी, जेकेपीसी, यूडीपी, एचएसपीडीपी, केरल कांग्रेस (थॉमस), बीडीजेएस, जेएसएस, पीजेपी, जेआरएस, केवीके, पीएनपी, केरल कांग्रेस(एन), पीडीएफ, एसबीएसपी, एमएनएफ अभी भी एनडीए में हैं।
  5. यूपीए : 2014 में 13 दल थे, इनके 60 सांसद थेकांग्रेस (44) के साथ राकांपा (6), राजद (4), झामुमो (2), मुस्लिम लीग (2), आरएसपी (1), केरल कांग्रेस (एम) (1), रालोद, नेकां, महान दल, बहुजन विकास अघाड़ी, बीपीएफ, सोशलिस्ट जनता (डी) यूपीए का हिस्सा थे। 
  6. 2019 : यूपीए में 28 दल, इनके पिछली बार 65 सांसद थेकांग्रेस के साथ राकांपा, द्रमुक, एमडीएमके, केएमडीके, रालोसपा, वीआईपी, राजद, झामुमो, मुस्लिम लीग, जेडीएस, आरएसपी, केरल कांग्रेस (एम), नेकां, महान दल, स्वाभिमानी पक्ष, बीटीपी, जेवीएम, हम, केरल कांग्रेस (जैकब), बहुजन विकास अघाड़ी, बीपीएफ, सोशलिस्ट जनता(डी), सीएमपी (जॉन), पीस पार्टी, केपीजेपी, टीजेएस, आईजेके और वीसीके यूपीए में हैं।
  7. 4 मोदी विरोधी दल अभी किसी गठबंधन में नहीं, लेकिन झुकाव यूपीए की तरफदल2014 में इनकी सीटेंएनडीए या यूपीए की तरफ झुकावतेदेपा16यूपीएआप4यूपीए*तृणमूल34यूपीएसपा5यूपीए*बसपा0किसी भी तरफ नहींबीजद20किसी भी तरफ नहींटीआरएस11किसी भी तरफ नहींवाईएसआर कांग्रेस9किसी भी तरफ नहींपीडीपी3किसी भी तरफ नहीं*सपा-बसपा इस बार गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव कांग्रेस के खिलाफ मुखर नहीं हैं, जबकि बसपा प्रमुख मायावती लगातार कांग्रेस की आलोचना कर रही हैं। तृणमूल कांग्रेस का झुकाव कांग्रेस की तरफ है। लेकिन हाल ही की रैलियों में राहुल गांधी ने तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी के खिलाफ बयान दिए हैं।
    पिछली बार बिहार में भाजपा और तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक ने सबसे ज्यादा सीटें जीती थीं
    इस बार दोनों दल पिछली बार जीती हुई सीटों से भी कम सीटों पर चुनाव लड़ रहे
    दोनों राज्यों में 79 सीटें हैं, ये दोनों गठबंधनों की स्थिति पर असर डाल सकते हैं

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