इंदौर को स्वच्छता में नंबर -1 बनाने वाले कर्मचारी धरने पर बैठे

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डोर टू डोर कचरा उठाकर स्वच्छता में नंबर वन की हैट्रिक लगवाने वाले कर्मचारी धरने पर चले गए हैं। नियमित वेतनमान नहीं मिलने और जोन उच्चाधिकारियों द्वारा आए दिन दुर्व्यवहार किए जाने से नाराज होकर कर्मचारियों ने यह कदम उठाया है।
कर्मचारियों का कहना है कि मंगलवार सुबह काम पर पहुंचे तो दरोगा और सीएसआई ने काम बंद कर जोन से जाने को कहा। इसके बाद करीब 1500 कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया। इसके बाद 500 से ज्यादा कर्मचारी धरने पर बैठ गए।

सीएम ने किया था प्रतिमाह 5 हजार रुपए देने की घोषणा

जानकारी के अनुसार, जोन क्रमांक-1 से जोन क्रमांक-19 तक सभी डोर टू डोर कचरा कलेक्शन करने वाले कर्मचारी समय पर वेतन नहीं मिलने से नाराज हैं। उनका आरोप है कि समय पर वेतन नहीं मिलने के साथ ही जोन के अधिकारियों द्वारा कई बार दुर्व्यवहार किया जाता है। सफाईकर्मियों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इंदौर के सफाई में नंबर-1 बनने के बाद घोषणा की थी कि सभी कर्मचारियों को प्रतिमाह 5 हजार रुपए दिए जाएंगे।

निगम अधिकारियों से मिलने पहुंचे थे सफाईकर्मी

सफाईकर्मियों ने कहा कि मंगलवार सुबह हम निगम अधिकारियों से यह पूछने गए कि डोर टू डोर कचरा उठाने वाले कर्मचारी और ड्राइवर को भी 5 हजार रुपए मिलेंगे या नहीं। इस पर अधिकारियों ने हमें कोई जवाब नहीं दिया। वहां पता चला कि इन्होंने सोमवार को हमारे यूनियन के अध्यक्ष और महामंत्री को फोन कर काम बंद करने को कहा है। इसपर हम सब निगम अधिकारी से बात करने वर्कशॉप पहुंचे। वहां हमें बताया गया कि किसी का काम बंद नहीं किया गया है। आप सभी अपने-अपने जोन पर जाएं और काम शुरू करें।

हमें साप्ताहिक अवकाश नहीं दिया जाता है

लेकिन, जब हम अपने-अपने जोन पर पहुंचे तो सीएसआई और दरोगा ने कहा कि सबका काम बंद कर दिया गया है। इसके बाद सभी एकत्रित हुए और धरने पर बैठ गए। कर्मचारियों का आरोप है कि हमने वेतन में अनियमितता को लेकर कई बार आवेदन दिया, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। ना हमें साप्ताहिक अवकाश दिया जाता है, ना ही हमें आकस्मिक अवकाश देते हैं। 
सीएम ने प्रतिमाह 5 हजार रुपए देने की घोषणा किए थे 

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