कमलनाथ सरकार के ओबीसी को 14 की जगह पर 27 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। मंगलवार को जस्टिस आरएस झा और संजय द्विवेदी की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि 25 मार्च से होने वाली एमबीबीएस की काउंसलिंग ओबीसी के 14 प्रतिशत आरक्षण के आधार पर ही की जाएगी।
दरअसल, भोपाल निवासी ऋचा पांडेय, जबलपुर निवासी असिता दुबे और सुमन सिंह की ओर से कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-16 में प्रावधान है कि एससी-एसटी और ओबीसी को मिलाकर आरक्षण 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
वर्तमान में एससी को 16, एसटी को 20 और ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण मिल रहा है। राज्य सरकार ने 8 मार्च को अध्यादेश जारी कर ओबीसी आरक्षण को 14 से बढाकर 27 कर दिया था। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार और चिकित्सा शिक्षा निदेशालय (डीएमई) को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण असंवैधानिक
ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने को विशेषज्ञ असंवैधानिक बता चुके थे। विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार 50 फीसदी से ज्यादा किसी भी स्थिति में नहीं हो सकता है। लेकिन, सरकार ने 14 फीसदी आरक्षण को बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था। प्रदेश में पहले से ही अनुसूचित जाति और जनजातियों को 36 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है।