मध्य प्रदेश: 29 में से एक भी सीट पर नाम तय नहीं, भाजपा प्रदेश चुनाव समिति की बैठक बेनातीजा रही

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मध्य प्रदेश से लोकसभा प्रत्याशियों के नाम तय करने के लिए हुए बैठक में भाजपा नेता 29 में से एक भी सीट पर नाम तय नहीं कर पाए। अब पैनल बनाकर नाम दिल्ली भेजे जाएंगे अंतिम निर्णय वहीं होगा। बैठक के दौरान भाजपा कार्यालय के बाहर संभावित उम्मीदवारों के समर्थक जुटे रहे और वर्तमान सांसदों के विरोध में नारेबाजी करते रहे। 

बैठक के बाद प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि, प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में सभी 29 सीटों पर दावेदारों के नामों को लेकर चर्चा हुई। इसी आधार पर एक सूची बनाई गई है। जिसे प्रदेश अध्य़क्ष दिल्ली लेकर जाएंगे। जहां केंद्रीय चुनाव समिति ये तय करेगी कि कौन सा उम्मीदवार किस सीट से मैदान में उतरेगा। निर्णय जल्द हो जाएगा। बैठक में शामिल होने के लिए आज सुबह प्रदेश प्रभारी डॉ विनय सहस्त्रबुद्धे, डॉ अनिल जैन और केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत भोपाल पहुंचे थे। वहीं प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा प्रदेश भाजपा और संगठन से जुड़े कई आला नेता बैठक में मौजूद रहे।

जमकर हुई नारेबाजी: बैठक शुरू होने से पहले ही भाजपा कार्यालय के बाहर दावेदार अपने समर्थकों के साथ पहुंच गए। इस बीच राजगढ़ सांसद रोडमल नागर के खिलाफ कार्यकर्ता भाजपा कार्यालय पहुंचे और उन्होंने नागर को दोबारा टिकट दिए जाने का विरोध किया।  कार्यकर्ताओं ने सांसद के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं।

पहले भी हुई रायशुमारी : गौरतलब है कि 29 सीटों पर रायशुमारी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने की है। सीटवार फीडबैक और रिपोर्ट को चुनाव समिति के सदस्यों के समक्ष रखा जाएगा।

चुनाव समिति को भेजे जाएंगे नाम : दिनभर चलने वाली इस बैठक में जो नाम सामने आएंगे उन पर विचार करने के बाद उन्हें केंद्रीय चुनाव समिति को भेज दिया जाएगा। प्रदेश के करीब दस लोकसभा क्षेत्रों में पार्टी नए चेहरों को मौका दे सकती है। वहीं, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का नाम ग्वालियर की जगह एक बार फिर से मुरैना से भेजा जा सकता है। शिवपुरी से प्रभात झा को मैदान में उतारा जा सकता है। अंतिम फैसला दिल्ली में ही होगा। पैनल में मौजूदा सांसदों के नाम भी शामिल किए जाएंगे। किसे दोबारा टिकट देना है किसे नहीं, ये सर्वे के आधार पर केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में तय होगा।

भोपाल, इंदौर और विदिशा अटकेंगे : पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस बार भोपाल, इंदौर और विदिशा सीट के लिए प्रत्याशियों की घोषणा में समय लग सकता है। इसकी वजह भी है। पार्टी इन सीटों पर 30 से 35 साल से लगातार जीतती आ रही है। कांग्रेस की मंशा इन तीन सीटों पर मजबूत उम्मीदवार उतारने की है। मुख्यमंत्री कमलनाथ इस बात के संकेत दे चुके हैं। कांग्रेस की इस रणनीति को देख भाजपा इन तीन सीटों पर अपने प्रत्याशियों को एनवक्त पर घोषित कर सकती है।

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