सूर्य को पूरे जगत की आत्मा माना गया है। कारण है सूर्य प्रकाश का स्रोत है और इससे ही जीव जगत अपना जीवन संचरित करते हैं। ज्योतिष में भी सूर्य को नव ग्रहों में बेहद महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है। ज्योतिष सूर्य को पिता, पुत्र, प्रसिद्धि, यश, तेज, आरोग्यता, आत्मविश्वास, इच्छा शक्ति का कारक माना गया है। सूर्य की उपासना के लिए अनेक मंत्र, जप और अनुष्ठान का वर्णन पौराणिक ग्रंथों में है। लेकिन आदित्य हृदय स्तोत्र सूर्य की उपासना का एक बहुत ही सटीक और सिद्ध साधन है। इसका प्रत्यक्ष प्रभाव भी शीघ्र ही दिखाई देने लगता है।
ज्योतिष में सूर्य की उपासना के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र एक विशेष साधन है जो विशेष परिस्थितियों में बहुत ही अचूक कार्य करता है। आदित्य स्तोत्र का नियमित पाठ करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।व्यक्ति की इच्छा शक्ति बढ़ जाती है। उसमें अपनी प्रतिभाओं का अच्छा प्रदर्शन करने की ताकत प्राप्त होती है। प्रतिस्पर्धा में सफलता मिलती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। व्यक्ति का आत्मविश्वास जब बहुत ही डगमगाने लगे तो आदित्य स्तोत्र का पाठ रामबाण का कार्य करता है। यदि आप परेशान हैं तो इसका पाठ नियमित रूप से कीजिए, अवश्य लाभ होगा।
आदित्य हृदय स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के मन के सारे भय निकल जाते हैं। घबराहट, अवसाद और नकारात्मक सोच से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है। व्यक्ति में सकारात्मक शक्तियों का उदय होता है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्त्ति को प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि, यश एवं कीर्ति की प्राप्ति होती है।
कार्यक्षेत्र में पदोन्नति होती है और सरकारी विवादों में लाभ मिलता है।