गांव की गलियों में खुलेआम चल रहे सट्टे से लोग हो रहे बर्बाद
संधारा। कहने के लिए सट्टा एक सामाजिक अपराध जरुर है लेकिन इस पर अंकुश लगाने में पुलिस की नाकामी की वजह से आज यह एक उद्योग का रूप ले चुका है। सट्टे की गिरफ्त में आने वालों में शहर ही नहीं गांव के लोग भी शामिल हैं जो अपनी मेहनत की कमाई दांव पर लगाकर बर्बाद हो रहे हैं।सट्टे को उद्योग बनाने वाले इलाकों में इन दिनों मंदसौर जिले की भानपुरा तहसील के संधारा गांव का नाम भी खासी पहचान बनाता नजर आ रहा है। जागरूक ग्रामीणों की मानें तो गांव की गलियों में धड़ल्ले से चल रहे इक्का-मिंडी के खेल ने कुछ लोगों के वारे-न्यारे कर रखे हैं तो सट्टे की लत में फंसे कुछ घरों के चूल्हे तक जलना मुश्किल हो गए हैं। इतना ही नहीं सट्टे की वजह से गांव में दूसरे अपराधों भी बढ़ रहे हैं। अभी वैसे ही कोरोना संक्रमण ने लोगों की दुनिया बदलकर रख दी है। हर इंसान आर्थिक तंगी के हालातों से जूझने पर मजबूर हो गया है। एसे में ग्रामीण अंचलों की स्थिति ओर अधिक नाजुक है, लोगों के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो रहा है लेकिन सट्टेबाज इस संकटकाल में भी लोगों का घर उजाड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं। इस अपराध के गांव में पैर पसारने को लेकर स्थानीय लोग पुलिस की नाकामी को भी बड़ी वजह मानते हैं उनका कहना है कि आज तक पुलिस द्वारा इस पर अंकुश लगाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। परिणाम स्वरूप दिन भर पसीना बहा कर पैसा कमाने वाले मजदूर वर्ग की कमाई लूटने वाले सट्टे में उलझाकर उनकी बर्बादी देख रहे हैं। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यदि यह सिलसिला नहीं रूकता है तो जल्द ही जिले के आला अधिकारियों को इसकी लिखित शिकायत की जाएगी ओर जरूरत पड़ी तो इसके खिलाफ आंदोलन भी किया जाएगा।