भोपाल. मध्य प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर अब बहुजन समाज पार्टी (BSP) भी मैदान में उतर गई है. बहुजन समाज पार्टी ने आज एक बयान जारी करते हुए कहा है कि पार्टी सभी 24 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में अपने बूते पर चुनाव लड़ेगी. बीएसपी उपचुनाव में किसी तरीके का गठबंधन किसी पार्टी से नहीं करेगी. बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) की सहमति के बाद प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल ने बयान जारी कर कहा है कि पार्टी 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए अगले हफ्ते से दावेदारों के आवेदन लेने का काम शुरू करेगी. आवेदनों के बाद चयनित उम्मीदवारों के नाम का पैनल पार्टी अध्यक्ष मायावती को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. उसके बाद पार्टी सभी 24 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान करेगी.
बीएसपी ने साफ कर दिया है इस बार उपचुनाव में वह कांग्रेस और बीजेपी को वॉकओवर नहीं देगी.
दरअसल 2018 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने दो सीटें जीती थी. एक सीट पर बीएसपी विधायक राम बाई ने दमोह के पथरिया जीत हासिल की थी. हालांकि बाद में पार्टी विरोधी बयानबाजी के चलते उनकी निलंबन की कार्रवाई की गई है. तो वहीं दूसरी सीट पर भिंड से संजीव सिंह कुशवाहा ने जीत हासिल की. बीएसपी ने 2018 के चुनाव के बाद सत्ता में आई कमलनाथ सरकार को बाहर से समर्थन दिया था. बीएसपी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में बहुमत के आंकड़े से दो कदम दूर रही कांग्रेस को बहुजन समाज पार्टी ने अपना समर्थन दिया था. इसके अलावा कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने पर हुए उपचुनाव में बीएसपी में अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा करने का फैसला किया था. लेकिन अब बदले सियासी घटनाक्रम के बीच बीएसपी ने सभी 24 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने की तैयारी कर ली है.
प्रदेश के ग्वालियर चंबल इलाके में बीएसपी का खासा दबदबा है. यहां कई बार पार्टी विधानसभा चुनावों में प्रदेश के मुख्य सियासी दल बीजेपी और कांग्रेस के लिए सिरदर्द साबित हो चुकी है. और ऐसे में इस बार होने वाले उपचुनाव में ग्वालियर चंबल की 16 सीटों पर बीएसपी का बड़ा रोल होगा. हालांकि राजनीतिक जानकारों के मुताबिक बीएसपी यदि सभी 24 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारती है तो इसका नुकसान कांग्रेस को ज्यादा हो सकता है. बीएसपी के उपचुनाव में उतरने के ऐलान के बाद प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि बीएसपी का चुनाव लड़ने का फैसला उनकी पार्टी का फैसला है. लेकिन बीएसपी चुनाव मैदान में उतरती है तो यह सबको पता है कि हाथी की चाल में किस को रौंदा जाएगा