इंदौर: मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी प्रकल्प स्वच्छ भारत मिशन के तहत किये गए स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर ने लगातार तीसरी बार नम्बर वन रहकर हैट्रिक बनाई। 4 हजार शहरों को पछाड़कर इंदौर ने अपना नम्बर 1 का खिताब बरकरार रखा। बुधवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इंदौर की महापौर मालिनी गौड़ को देश में नंबर वन रहने पर पुरस्कृत किया। मप्र के नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह, प्रमुख सचिव संजय दुबे, निगमायुक्त आशीष सिंह और नेता प्रतिपक्ष फौजिया शेख अलीम भी इस दौरान मौजूद रहे। पिछली बार 2 रे स्थान पर रहा भोपाल अपना स्थान बरकरार नहीं रख सका। वह फिसलकर 19 वे स्थान पर पहुंच गया।
तमाम मापदंडों पर इंदौर रहा भारी।
स्वच्छता सर्वे के जो भी मापदंड केंद्र सरकार के शहरी विकास एवं आवास मंत्रालय ने तय किये थे उन तमाम मापदंडों पर इंदौर अन्य शहरों के मुकाबले काफी आगे रहा। खुले में शौचमुक्त शहर का तमगा पहले ही इंदौर को मिल चुका था। सर्वे में सार्वजनिक स्थानों की सफाई, घर-घर से गिला और सूखा कचरा अलग-अलग करके एकत्र करना, कचरे से खाद बनाना, कचरा पेटियों से शहर को मुक्त करना, प्लास्टिक की थैलियों के इस्तेमाल पर रोक, डंपिंग ग्राउंड से कचरे के पहाड़ खत्म कर सफलतापूर्वक उसका निपटान करना, थ्री आर { रिड्यूस, रियूज, रिसायकल } पर कड़ाई से अमल करना, शौचालयों के निर्माण के साथ उनकी सफाई का ध्यान रखना, जनता का फीडबैक आदि तमाम बिंदुओं पर इंदौर ने उल्लेखनीय कार्य किया। इसके अलावा पुल- पुलियाओं के सौंदर्यीकरण और सार्वजनिक भवनों की दीवारें जो पहले राजनीतिक दलों के नारों से पटी रहती थीं वो अब आकर्षक चित्रकारी से सजी हैं। ये ऐसे काम हैं जो इंदौर को अन्य शहरों से मिलों आगे ले जाते हैं। यही कारण है कि हैट्रिक लगाने में इंदौर कामयाब रहा।
महापौर मालिनी गौड़ को जाता है श्रेय।
तीन- चार साल पहले किसी इंदौर वासी के जेहन में भी यह बात नहीं थी कि इंदौर की कायापलट हो सकती है। गंदगी के ढेर से उसे मुक्ति मिल सकती है। कचरा उठाने उसके घर तक गाड़ी आएगी। गंदगी से भरे नालों की सफाई होकर उसके किनारों को व्यवस्थित किया जा सकेगा। पर ये सब संभव हुआ और देश के सबसे साफ – सुथरे शहर का खिताब लगातार तीसरी बार उसके हिस्से में आया। इस बदलाव की शिल्पकार रही महापौर मालिनी गौड़। उन्होंने साबित किया कि ठान लिया जाए तो सबकुछ संभव है। इस मामले में उन्हें पूर्व निगमायुक्त मनीष सिंह का पूरा साथ मिला। उन्हीं के काम को वर्तमान निगमायुक्त आशीष सिंह ने आगे बढ़ाया। इंदौर की जनता भी इस महायज्ञ में जुड़ती चली गई और आज देवी अहिल्याबाई होलकर का ये शहर गर्व से सिर ऊंचा किये खड़ा है।
छोटे शहरों में उज्जैन रहा अव्वल।
5 से 10 लाख की आबादी वाले शहरों में महाकाल की नगरी उज्जैन अव्वल रही। अहम बात ये है कि उज्जैन को छोटे शहरों में स्वच्छता के पायदान पर सबसे आगे लाकर खड़ा करने में उन्हीं मनीष सिंह ने अहम भूमिका निभाई जिन्होंने इसके पहले इंदौर को नम्बर वन बनाया था। उज्जैन कलेक्टर के बतौर उन्होंने स्थानीय नगर निकाय के साथ उज्जैन को स्वच्छता में आगे लाने की मुहिम छेड़ी। राजनीतिक कारणों से कमलनाथ सरकार ने उनका तबादला कर दिया पर वे जाने के पहले उज्जैन को उस राह पर आगे बढ़ा चुके थे जिसपर चलकर उज्जैन ने भी नम्बर वन का खिताब अपने नाम कर लिया।