जैसा की हम सब जानते हैं कि कुंभ में सबसे ज्यादा नागा साधु नहाने के लिए आते हैं मगर क्या आप जातने हैं कि कुंभ के खत्म होेने के बाद में ये सब नागा साधु कहां पर गायब हो जाते हैं । इस बात का पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है । नागा नाम जैसे ही मन में आता है वैसे ही आंखों के आगे एक अलग ही तस्वीर उभर कर आ जाती है । आपने नागा साधुओं के बारे में तो शायद सुना ही होगा और शायद ऐसे नागा साधुओं को देखा भी होगा । नागा साधू अर्धकुंभ, महाकुंभ में हुंकार भरते, शरीर पर भभूत लगाए नाचते-गाते हुए दिखाई दे जाते हैं ।
तो आपको बता दें कि नागा साधु कहां से आते हैं और कुंभ के बाद कहां चले जाते हैं । जब भी कोई व्यक्ति नागा साधु बनने के लिए अखाड़े में जाता है, तो सबसे पहले उसके पूरे बैकग्राउंड के बारे पता किया जाता है, जिसके बाद अखाड़ा पूरी तरह से आश्वस्त हो जाता है तो शुरू होती है उस व्यक्ति को नागा साधु बनाने की प्रक्रिया । अखाड़े में एंट्री के बाद नागा साधुओं के ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है, जिसमें तप, ब्रह्मचर्य, वैराग्य, ध्यान, संन्यास और धर्म की दीक्षा दी जाती है ।
इस पूरी प्रक्रिया में करीब 12 साल लगते हैं । अगर अखाड़ा यह निश्चित कर लें कि वह दीक्षा देने लायक हो चुका है, फिर उसे अगली प्रक्रिया से गुजरना होता है । दूसरी प्रक्रिया में नागा अपना मुंडन कराकर पिंडदान करते हैं, वो सांसारिक जीवन से पूरी तरह अलग हो जाते हैं । जिसके बाद में अखाडें के लोग उसे एक नया नाम दे देते हैं ।