इंदौर पुलिस ने रेपिड रिसर्च टेक्नोलॉजीस एडवाईजरी कम्पनी के 47 कर्मचारियों को हिरासत में लिया है। कंपनी के यह सभी कर्मचारी लोगों को फर्जी फोन कर के लुभावने रिर्टन्स का प्रलोभन देकर खाते में लाखों रूपये जमा करवाते थे। फिलहाल पुलिस कंपनी के सभी कर्मचारियों से पूछताछ कर रही है।
पुलिस अधीक्षक एसटीएफ ने बताया कि एसटीएफ इकाई के सहायक उप निरीक्षण अमित दीक्षित को सूचना मिली थी की, रेपिड रिसर्च टेक्नोलॉजीस नामक शेयर एडवाईजरी कंपनी के कर्मचारियों द्वारा स्वयं की पहचान छुपाकर अन्य किसी नाम से लोगों को कॉल कर लुभावने रिर्टन्स का प्रलोभन देते हुए मोटी राशि ठगी जा रही है। जिसपर पुलिस टीम ने मालवा मिल चैराहे पर स्थित कंपनी के ऑफिस में दबिश दी, जहां कंपनी में काम करने वाले 14 महिला और 33 युवकों को हिरासत में लिया गया। वहीं पुलिस टीम को जानकारी मिली की, रेपिड रिसर्च टेक्नॉलाजी के प्रोपायटर अरूण खंडेलवाल द्वारा एनआयएसएम का सर्टिफिकेशन प्राप्त है, एवं इस सर्टिफिकेशन की आड़ में बारहवी से लेकर स्नातक तक के कर्मचारियों को नियुक्त कर उन्हें धोखाधड़ी के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा था। और साथ ही टीम को जांच के दौरान अरूण खण्डेलवाल द्वारा उक्त कम्पनी विनोद विश्वकर्मा और जितेन्द्र सराठे को चलाने के लिए दे दी गई थी, जिनसे सर्टिफिकेशन के एवज में एक निश्चित राशि प्राप्त की जा रही थी। फिलहाल पुलिस ने कंपनी के प्रोपायटर समेत 47 कर्मचारियों को हिरासत में ले लिया है, और साथ में 48 सेट कंप्यूटर, 46 नग मोबाइल फोन समेत कई सामान जब्त कर लिया है।