जी-7 देश यूरोप के शरणार्थी संकट का हल निकालने पर सहमत हैं। लेकिन, इसके तौर-तरीकों को लेकर अब भी उलझन बरकरार है। सम्मेलन के दूसरे दिन इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने यूरोपीय देशों में शरणार्थियों व प्रवासियों की आवक घटाने के लिए लिंक्ड टू अफ्रीका समाधान पेश किया। सम्मेलन की मेजबान मेलोनी ने शरणार्थी संकट को चर्चा का मुख्य मुद्दा बना दिया है। इस विषय में उनकी विशेष रुचि है क्योंकि, इटली अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया में युद्ध और गरीबी से भाग रहे लोगों के लिए यूरोपीय संघ में प्रवेश के प्रमुख मार्गों में से एक पर स्थित है।
इटली को शरणार्थी संकट की वजह से कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इस संकट को हल करने का वादा करते हुए ही उन्होंने चुनाव भी जीता है। चूंकि इटली यूरोपीय संघ (ईयू) का सदस्य है, ऐसे में शरणार्थी संकट पर ईयू के बड़े भागीदार जर्मनी और फ्रांस को सहमत करना जरूरी है। मेलोनी ने जी-7 को इस संकट पर समाधान के लिए चर्चा का मंच बनाते हुए लिंक्ड टू अफ्रीका योजना पेश करते हुए कहा कि यूरोपीय देशों को अफ्रीका में निवेश बढ़ाना होगा, ताकि लोगों को अपने देश में ही रोजगार और बेहतर जीवन मिल सके।
मेलोनी ने सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर कहा, इटली चाहता है कि अफ्रीका को पर्याप्त निवेश मिली, जो हम सभी के भविष्य के लिए जरूरी है, क्योंकि अफ्रीका में कठिनाइयां और अवसर दोनों हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए यह जरूरी है कि हम अफ्रीका से जुड़ें। उन्होंने कहा कि प्रवासन का मुद्दा असल में मानव तस्करी के संगठित अपराध से जुड़ा है। अपराधी मासूम लोगों की हताशा का फायदा उठा रहे हैं।
अपुलिया खाद्य प्रणाली पहल को दी गई मंजूरी
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया में पैदा हुए अनाज संकट को ध्यान में रखकर शुक्रवार को जी-7 देशों ने वैश्विक कुपोषण के खिलाफ खाद्य सुरक्षा पहल शुरू की है। इस पहल को जी-7 अपुलिया खाद्य प्रणाली पहल (एएफएसआई) नाम दिया गया है। इसका उद्देश्य खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए संरचनात्मक बाधाओं को दूर करना है। यह पहल निम्न आय वाले देशों पर ध्यान केंद्रित करेगी और अफ्रीका में खाद्य सुरक्षा परियोजनाओं का समर्थन करेगी, ताकि अफ्रीका से लोगों के विस्थापन और प्रवास में कमी आए।
यूक्रेन को 50 अरब डॉलर का कर्ज
सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने 50 अरब डॉलर के कर्ज समझौते पर हस्ताक्षर किया। इस कर्ज के बदले अमेरिका यूरोप व यूक्रेन में जब्त रूसी संपत्तियों को गिरवी रखेगा।