व्यापमं घोटाले में दो रिटायर्ड आईएएस को राहत

भोपाल।व्यापम घोटाला भारतीय राज्य मध्य प्रदेश से जुड़ा प्रवेश एवं भर्ती घोटाला है जिस के पीछे कई नेताओं, वरिष्ठ अधिकारियों और व्यवसायियों का हाथ है ये प्रवेश परीक्षाएँ, राज्य के शैक्षिक संस्थानों में तथा सरकारी नौकरियों में दाखिले और भर्ती के लिए आयोजित की जाती हैं। इन प्रवेश परीक्षाओं में तथा नौकरियों में अपात्र परीक्षार्थियों और उम्मीदवारों को बिचौलियों, उच्च पदस्थ अधिकारियों एवं राजनेताओं की मिलीभगत से रिश्वत के लेनदेन और भ्रष्टाचार के माध्यम से प्रवेश दिया गया एवं बड़े पैमाने पर अयोग्य लोगों की भर्तियाँ की गयी|

 व्यापमं घोटाले में प्री-पीजी 2012 में सीबीआई की जांच पूरी हो गई है। जल्द ही सीबीआई रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी आरके शिवहरे सहित 28 आरोपितों के खिलाफ चालान पेश कर सकती है। इस परीक्षा में संदेही दो रिटायर्ड आईएएस अधिकारी रंजना चौधरी और केसी जैन के खिलाफ चालान की सीबीआई मुख्यालय से स्वीकृति नहीं मिली है । जिससे उनके नाम आरोपितों में से हटा दिए गए हैं।

सूत्रों के मुताबिक प्री-पीजी 2012 परीक्षा में 50 लाख से लेकर 75 लाख रुपए लेकर स्‍नातक डॉक्टरों को परीक्षा में पास कराने के आरोप हैं। इसमें श्री अरविंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (सिम्स) में प्रवेश पाने वाले डॉक्टर अभ्यर्थी भी हैं जिन्हें व्यापमं के अधिकारियों के साथ मिलकर परीक्षा पास कराई गई।

इस परीक्षा में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी रंजना चौधरी का नाम भी आया था जिसमें व्यापमं के तत्कालीन अधिकारी पंकज त्रिवेदी ने उन्हें करीब 42 लाख रुपए की राशि देने के आरोप लगाए गए थे।

हालांकि यह राशि पंकज द्वारा रंजना चौधरी के रिटायरमेंट के लगभग डेढ़ महीने बाद देने का तथ्य सामने आया था। सीबीआई के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि रंजना चौधरी को इसका लाभ मिला क्योंकि रिटायरमेंट के बाद राशि लेकर चौधरी द्वारा परीक्षा में बैठे अभ्यर्थियों के परिणामों को प्रभावित किए जाने की संभावना ही नहीं बनती।

सूत्रों के अनुसार एक अन्य रिटायर आईएएस केसी जैन की अपने बेटे के प्री-पीजी में पास कराने की भूमिका को लेकर सीबीआई की जांच में ठोस आधार नहीं बने। इससे केसी जैन तो बच गए हैं लेकिन उनके बेटे और रिश्तेदार विवेक कुमार जैन घोटाले में आरोपी बना दिए गए हैं।

सीबीआई जांच में अभ्यर्थी डॉ. निष्ठा अग्रवाल, उनके अभिभावक नर्मदा प्रसाद अग्रवाल, आरोपित बने विपिन गोयल के भतीजे अभ्यर्थी डॉ. प्रखर सिंघल को भी संदेह के आधार पर आरोपितों में शामिल किया गया था लेकिन उनके खिलाफ ठोस साक्ष्य नहीं होने से सीबीआई मुख्यालय ने उनके नाम भी हटा दिए हैं।

इसी तरह रिटायर आईपीएस अधिकारी आरके शिवहरे को अपनी बेटी डॉ. नेहा और दामाद आशीष आनंद गुप्ता को व्यापमं के अधिकारियों को पैसे देकर प्री-पीजी पास कराने में आरोपित बनाया गया है। उनकी बेटी और दामाद भी इसमें आरोपित बने हैं। वहीं, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ मप्र कैडर की महिला आईपीएस अधिकारी सोनाली मिश्रा के भाई भरत मिश्रा को बिचौलियों की तरह काम करने का आरोपित माना गया है।

ये हैं आरोपित

पंकज त्रिवेदी- व्यापमं के तत्कालीन अधिकारी

नितिन मोहिंद्रा- व्यापमं के तत्कालीन अधिकारी

विनोद भंडारी- संचालक, श्री अरविंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस

प्रदीप रघुवंशी- महाप्रबंधक, श्री अरविंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस

भरत मिश्रा- आईपीएस सोनाली मिश्रा के भाई

आरके शिवहरे- अभिभावक (रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी)

डॉ. अनुराग जैन- प्री-पीजी अभ्यर्थी (रिटायर्ड आईएएस अधिकारी केसी जैन के बेटे)

डॉ. सन्न्ी जुनेजा- प्री-पीजी अभ्यर्थी

डॉ. समीर मंडलोई- प्री-पीजी अभ्यर्थी

डॉ. सोमेश माहेश्वरी- प्री-पीजी अभ्यर्थी

डॉ. अवजीत सिंह खनूजा- प्री-पीजी अभ्यर्थी

डॉ. आयुष मेहता- प्री-पीजी अभ्यर्थी

डॉ. आशीष आनंद गुप्ता- प्री-पीजी अभ्यर्थी (रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी आरके शिवहरे के दामाद)

डॉ. नेहा शिवहरे- प्री-पीजी अभ्यर्थी (रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी आरके शिवहरे की बेटी)

डॉ. अमित जैन- प्री-पीजी अभ्यर्थी

डॉ. राघवेंद्र प्रताप सिंह- प्री-पीजी अभ्यर्थी

अजय कुमार जैन- (अभिभावक)

विवेक कुमार जैन- (अभिभावक)

सुरेश माहेश्वरी- (अभिभावक)

किशोर कुमार जुनेजा- (अभिभावक)

धरमचंद्र मंडलोई- (अभिभावक)

रामप्रकाश ठाकुर- (अभिभावक)

डॉ. आलोक मेहता- (अभिभावक)

गुरवेजसिंह खनूजा- (अभिभावक)

विपिन गोयल- (अभिभावक)

डॉ. कैलाश नारायण सिंघल- (अभिभावक)

संजीव शिल्पकार- (बिचौलिया)

सुधीर राही- (बिचौलिया)

जिन्हें गवाह बनाया

राघवेंद्र सिंह तोमर- प्रत्याशी

डॉ. आशुतोष मेहता- प्रत्याशी

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