डेढ़ घंटे तक कांग्रेस प्रत्याशी की सांसें होती रही ऊपर नीचे, भाजपा की आपत्ति पर रद्द होते-होते बचा नामांकन

इंदौर। भाजपा ने इंदौर लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम के नामांकन पर आपत्ति दर्ज कराई थी। आपत्ति दर्ज होने के बाद कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम के साथ-साथ कांग्रेसियों की सांसे डेढ़ घंटे तक ऊपर नीचे होती रही। क्योंकि भाजपा विधि प्रकोष्ठ ने अक्षय अक्षय बम द्वारा धारा 307 की जानकारी नहीं देने को लेकर आपत्ति ली थी। बम को भले ही आज राहत मिल गई हो लेकिन वोटिंग से पहले धारा 307 उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।

कांग्रेस से लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम को मतदान से पहले हर रोज परीक्षा देनी पड़ रही है। भाजपा की विधि प्रकोष्ठ की टीम ने उन्हें चारों तरफ से घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। इसका जिम्मा इंदौर भाजपा विधि प्रकोष्ठ के जिला संयोजक भूपेंद्र सिंह कुशवाहा ने ले रखा है। आज नामांकन फार्म जंचने के बाद रद्द होने की प्रक्रियाएं चल रही थी। यहां इंदौर भाजपा विधि प्रकोष्ठ के जिला संयोजक भूपेंद्र सिंह कुशवाहा ने आपत्ति ली कि अक्षय कांति बम पर बरसों पुराने मामले में धारा 307 लगी है। उन्होंने अपने नामांकन फार्म में इस धारा 307 को छुपाया है। यह जानबूझकर की गई धोखाधड़ी है। इस आधार पर नामांकन फार्म रद्द किया जाए।

निर्वाचन अधिकारी ने पाया नामांकन मान्य
इस आपत्ति के पहुंचने के बाद निर्वाचन अधिकारी जांच पड़ताल में जुट गए तो वहीं कांग्रेसियों और अक्षय कांति बम की सांसें ऊपर नीचे होने लग गई। हो भी क्यों ना अगर निर्वाचन रद्द हो जाता तो भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी आज ही विजयी हो जाते। बम की तरफ से दिए गए तर्कों को तकनीकी रूप से निर्वाचन अधिकारी ने मान्य मानते हुए उन्हें इतनी राहत दे दी कि नामांकन रद्द नहीं किया।

अभी मुश्किलें नहीं हुई कम
हालांकि बम की मुश्किलें कम नहीं हुई है। मतदान से पहले ही मामले की तारीख न्यायालय में विचाराधीन है। भाजपा विधि प्रकोष्ठ पूरी कोशिश करेगी कि मतदान से पहले धारा 307 मामले में अक्षय कांति बम को घेरा जाए।

दोनों ही प्रत्याशी के नामांकन पर दर्ज हुई आपत्ति
इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह के मुताबिक दोनों ही प्रत्याशी के नामांकन पर आपत्ति दर्ज हुई थी। बीजेपी प्रत्याशी शंकर लालवानी के नामांकन में 5 से ज्यादा लोगों की उपस्थित होने को लेकर आपत्ति ली गई थी। दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय के खिलाफ धारा छुपाए जाने को लेकर आपत्ति दर्ज कराई गई थी। दोनों ही मामले में 15-15 मिनट में आपत्ति को सुनकर उनका निराकरण कर दिया गया। 1 घंटे तक फॉर्म की स्क्रूटनी की गई।

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