ग्वालियर: सिंधिया राजपरिवार की शाही मेहमान राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने गुरुवार को सिंधिया राजपरिवार की जय विलास पैलेस महल स्थित म्यूजियम का जायजा लिया. ग्वालियर पहुंचीं राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू एयरपोर्ट से सीधे म्यूजियम पहुंचीं, जहां सिंधिया परिवार के महाराज और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और महारानी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया द्वारा उनका स्वागत किया गया. महल गेट से लेकर म्यूजियम तक शाही परंपरागत तरीके से उनकी अगवानी की गई, जहां महल की गैलरी के एक ओर शास्त्रीय संगीत की धुन बज रही थी तो वहीं दूसरी ओर परंपरागत वेशभूषा में सजी-धजी युवतियों ने नृत्य प्रस्तुति के साथ उनका स्वागत किया. इसके बाद महारानी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया ने उन्हें महल में स्थिति के गैलरी का अवलोकन कराया यहां उन्होंने दरबार हॉल में लगे विशालकाय झूमर भी देखें और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लोकार्पण की गई मराठा गैलरी में पहुंचकर मराठा राजवंश के बारे में जानकारी भी ली. सिंधिया परिवार के इस भव्य राजप्रसाद को देखकर राष्ट्रपति भी बेहद प्रसन्न नजर आईं.
महल में लगे हथकरघे भी देखे
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने जयविलाश पैलेस में पहुंचकर पहले गैलरी, संग्रहालय सहित कपड़ा बनाने वाले हथकरघा देखे और यहां काम करने वालों से बात की. साथ ही महल में मौजूद छात्रों व छाताओं से बात की और उन्हें उपहार दिए. इसके बाद उन्होंने जयविलास पैलेस में 19 तरह के सात्विक भोजन का जायका भी लिया. उनके लिए विशेष तौर से महारानी प्रियदर्शनी की देखरेख में सात्विक भोजन तैयार किया गया था.
इनमें नेपाली साग से लेकर दालमा, संतुला, जीरा मूंग दाल छिलका, पनीर मखाना, भुट्टा कीस आदि तैयार किए गए थे. इस दौरान उनके साथ राज्यपाल मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, सांसद विवेक शेजवलकर, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, तुलसी सिलावट, प्रद्युम्न सिंह सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे.
19 सात्विक व्यंजन तैयार किए गए
राष्ट्रपति के लिए नेपाली साग से लेकर दालमा, संतुला, जीरा मूंग दाल छिलका, पनीर मखाना, भुट्टा कीस बनाए गए थे. इस दौरान गणमान्य सदस्य मुख्यमंत्री, राज्यपाल, सांसद शेज्वलकर, नरोत्तम मिश्रा, तुलसी सिलावट, प्रद्युमन सिंह मौजूद रहे.
हिन्द स्वराज गैलरी देखी
राष्ट्रपति द्वारा जय विलास पैलेस में हिंद स्वराज गैलरी का अवलोकन भी किया गया. जिसके बाद वे सिंधिया राजपरिवार के साथी भोजनालय पहुंचीं जहां सिंधिया परिवार की ऐतिहासिक चांदी की रेल को भी उन्होंने देखा और यही पारंपरिक तरीके से उन्हें भोजन कराया गया.
जयाजी राव सिंधिया ने 1874 जय विलास महल बनवाया था
सिंधिया राजवंश के शासक जयाजी राव सिंधिया ने सन 1874 जय विलास महल बनवाया था. यूरोपीय वास्तुकला पर आधारित इस महल को फ्रांसीसी आर्किटेक्ट सर माइकल फिलोस ने डिजाइन किया था. विदेशी कारीगरों की मदद से इस महल को चार सौ कमरों के साथ भव्य बनाया गया था. इस महल की पहली मंजिल टस्कन शैली, दूसरी मंजिल इतालवी-डोरिक शैली और तीसरी कोरिंथियन शैली में बनी है. इतावली संगमरमर और फारसी कालीन से महल की सजावट की गई है.
1874 में बना जय विलास पैलेस
महल के दरबार हॉल के अंदरूनी हिस्से को सोने और गिल्ट बनाया गया है. 1874 में बना जय विलास पैलेस 12 लाख 40 हजार 771 वर्ग फीट में फैला है. इसमें चार सौ कमरे हैं. 146 साल पहले बने इस महल के निर्माण में एक करोड़ रुपए खर्च हुआ था.विदेशी कारीगरों की मदद से जय विलास महल को बनाने में 12 साल का समय लगा था. इस महल में साल 1964 में म्युजियम शुरु हुआ था. चालीस कमरों को विजयाराजे सिंधिया ने म्युजियम में तब्दील कराया था.
महल की दूसरी मंजिल पर बना दरबार हाल जयविलास की शान कहा जाता है. दरबार हाल की दीवारों और छत को पूरी तरह सोने-हीरे-जवाहरात से सजाया गया था. दरबार हाल की छत पर दुनिया का सबसे बड़ा वजनी झूमर लगाया गया है. साढ़े तीन हजार किलो के झूमर को लटकाने से पहले कारीगरों ने छत की मजबूती को परखा. इसके लिए छत के ऊपर नौ से दस हाथियों को खड़ा किया गया. दस दिन तक छत पर हाथी चहलकदमी करते रहे. जब छत मजबूत होने का भरोसा हो गया तब फ्रांस के कारीगरों ने इस झूमर को छत पर लटकाया.