
उज्जैन: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने वर्ण और जाति व्यवस्था पर बयान देकर नई बहस छेड़ दी है। संघ प्रमुख ने कहा है कि ऊंच-नीच की श्रेणी भगवान ने नहीं पंडितों ने बनाई है। संघ प्रमुख के इस बयान पर उज्जैन के ब्राह्मण समाज नाराज है, उन्होंने ब्राह्मणों से माफी मांगने की मांग की है।
बता दें कि उज्जैन ब्राह्मण समाज के पदाधिकारियों ने सोमवार को पशुपतिनाथ मंदिर में बैठक की। इसमें विचार विमर्श किया एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख भागवत के बयान का विरोध किया। समाजजनों ने भागवत से वक्तव्य को वापस लेकर ब्राह्मण समाज से खेद व्यक्त करने की मांग की गई। साथ ही जमकर नारेबाजी की गई। इस दौरान ‘जब-जब ब्राह्मण बोला है, राजसिंहासन डोला है’, ‘ब्राह्मणों से जो टकराएगा, माटी में मिल जाएगा’ जैसे नारे लगाए गए।
इसके साथ ही सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरितमानस एवं ब्राह्मणों, तीर्थ पुरोहित, पुजारियों के विरुद्ध की गई टिप्पणी की भी तीव्र निंदा करते हुए सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य से भी अपना वक्तव्य वापस लेकर खेद व्यक्त करने की मांग भी की गई।
परशुराम ब्राह्मण युवा संगठन के संस्थापक अध्यक्ष पंडित राजेश त्रिवेदी सीधे-सीधे कहते हैं कि ऐसी व्यवस्था पंडितों ने नहीं बनाई। अगर किसी ने बनाई तो राजनीति ने बनाई है। मोहन भागवत को ये बताना चाहिए कि इस बात का रेफ्ररेंस क्या है…? यानी किस पंडित ने श्रेणी बनाई और ये बात कहां से उन्होंने ली है…? वहीं अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित सुरेंद्र चतुवेदी ने मोहन भागवत की बात को खारिज करते हैं। उनका कहना है कि गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि जन्मना जायते शूद्र:, संस्काराद द्विज उच्यते यानी जन्म से सभी शूद्र होते हैं, अपने संस्कार से वो द्विज (ब्राह्मण) बनते हैं। ये स्पष्ट है कि लोग जन्म से किसी श्रेणी में विभाजित नहीं थे। अपने रुझान, स्वभाव, अध्ययन के अनुसार वर्ण में शामिल हुए। तो पंडितों ने कैसे ये कर दिया…? इन्हीं गुणों के अनुसार उपनयन (संस्कार) होता था, न कि जाति के अनुसार।