भोपाल. एमपी में अब महापौर के चुनाव डायरेक्ट नहीं होंगे, अब पार्षदों का निर्वाचन होगा और पार्षद ही महापौर को चुनेंगे. आज बुधवार 25 सितम्बर को भोपाल में कमलनाथ केबिनेट ने नगर निगम और नगर पालिका संशोधन विधेयक को मंजूरी दी.
इससे पहले तक जनता सीधे महापौर को चुनती थी, लेकिन इस फैसले के बाद अप्रत्यक्ष तरीके से महापौर और नगर निगम के सभापति का चुनाव होगा. वहीं परिसीमन का काम भी चुनाव से दो महीने पहले पूरा हो जाएगा. इसके अलावा अगर कोई शख्स पार्षद का चुनाव लड़ रहा है तो अब उसे राज्य निर्वाचन आयोग से जानकारी छुपानी महंगा पड़ेगी. इसके तहत 6 महीने की सजा और 25 हजार का जुर्माना भी भरना पड़ेगा.
कमलनाथ सरकार के नगरीय निकाय एक्ट में बदलाव के फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम इसका विरोध करते हैं. कांग्रेस को हार का डर सता रहा है. इसलिए उन्होंने महापौर के सीधे चुनाव को खत्म कर दिया है. कांग्रेस इसके जरिए जोड़-तोड़ और खरीद-फरोख्त की राजनीति को बढ़ावा दे रही है.
एमपी केबिनेट ने लिये यह अन्य फैसले
-मध्य प्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी के 650 पदों को समाप्त करने का फैसला
– इंदौर-महू-मनमाड़ रेल लाइन बिछाने के लिए अब सरकार भी अंशदान देगी.
-उद्योगों को सस्ती बिजली देने के प्रस्ताव को भी कैबिनेट की हरी झंडी मिल गई है.
-पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के लिए 90 एमएलडी जल प्रदाय योजना को स्वीकृति
-औद्योगिक क्षेत्र में रूफटॉप पावर सोलर प्लांट के प्रोजेक्ट को मंजूरी
-उद्योगों को मिलेगी सस्ती बिजली मंडीदीप से शुरू होगा प्रोजेक्ट.