नई दिल्ली,वित्त वर्ष (2019-20) में जीएसटी संग्रह उम्मीद से 40,000 करोड़ रुपये कम होने की आशंका है. इसे देखते हुए राज्यों ने चिंता जतानी शुरू कर दी है. सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते गोवा में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस बारे में राज्यों के वित्त मंत्रियों को बता दिया है. इस पर चिंता जताते हुए राज्यों ने इसकी भरपाई करने को कहा है.
जीएसटी काउंसिल की बैठक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के बाद हुई थी. काउंसिल ने निर्मला सीतारमण के इस साहसिक निर्णय की सराहना की थी, लेकिन राज्यों के वित्त मंत्रियों ने राजस्व में कमी को लेकर चिंता जताई थी.
गौरतलब है कि देश की जीडीपी में अप्रैल से जून की तिमाही में महज 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जो इसके पिछले तिमाही के 5.8 फीसदी की तुलना में काफी कम है. पिछले साल की इसी अवधि में जीडीपी में बढ़त 8 फीसदी हुई थी. पहली तिमाही की यह जीडीपी बढ़त पिछले 6 साल में सबसे कम है. इसके पहले साल 2012-13 की जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी में बढ़त 4.3 फीसदी हुई थी.
असल में जीएसटी को मंजूरी देते समय केंद्र सरकार ने इस बात पर हामी भरी थी कि पांच साल के भीतर किसी साल राज्यों के सालाना राजस्व में बढ़त 14 फीसदी से कम रहती है तो वह इसकी भरपाई करेगा. जीएसटी कानून के मुताबिक यह भरपाई उस फंड से की जाएगी जो सेस के द्वारा बनाई गई है.
सरकार ने इस वित्त वर्ष में 1 लाख करोड़ रुपये यानी औसतन हर महीने 8,000 करोड़ रुपये के करीब जीएसटी संग्रह होने का अनुमान लगाया था, लेकिन अगस्त महीने में जीएसटी कलेक्शन सिर्फ 7,272 करोड़ रुपये ही रहा, जिसकी वजह से बजट लक्ष्य के पूरा होने पर संदेह के बादल मंडरा गए हैं.
इस साल के पहले चार महीनों में जीएसटी कलेक्शन कम होने की भरपाई में केंद्र सरकार राज्यों को 45,784 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति दे चुकी है. इसके अलावा राज्य यह भी मांग कर रहे हैं कि राजस्व की क्षतिपूर्ण 8 साल तक की जाए. केंद्र सरकार को उम्मीद है कि चौथी तिमाही में ग्रोथ में अच्छी बढ़त होगी और तब जीएसटी कलेक्शन भी बढ़ जाएगा.
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