कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि लोकसभा चुनाव में हार के बावजूद कांग्रेस को समावेशी भारत के अपने विचार को चुनावी लाभ के लिए नहीं छोड़ना चाहिए.
नई दिल्ली. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने सोमवार को कहा कि लोकसभा चुनाव में हार के बावजूद कांग्रेस को समावेशी भारत के अपने विचार को चुनावी लाभ के लिए नहीं छोड़ना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कह दिया कि वे पूरे जीवन के लिए कांग्रेस (Congress) में नहीं आए हैं. बता दें कि शशि थरूर पहले भी पीएम मोदी की तारीफ कई मौकों पर कर चुके हैं और उनके इस बयान से फिर से लोगों ने कुछ और अनुमान लगाना शुरू कर दिया. हालांकि इसके बाद थरूर ने तुरंत अपनी भूल को सुधारा.
तिरुवनंतपुरम से सांसद ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से स्पष्ट है कि देश के 60% मतदाता भाजपा (BJP) की विचारधारा से सहमत नहीं हैं.
कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम से इतर उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘मेरा यह मानना है कि पिछले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा को 37% वोट मिले और ऐसे में 60% वोटर ऐसे हैं जो उसके साथ सहमत नहीं हैं. इन 37% लोगों में कुछ लोग ऐसे हैं जो भारत को बहुसंख्यकवादी देश बनते नहीं देखना चाहते.’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस समावेशी भारत और सभी के लिए काम करने में विश्वास रखती है जो उसे भाजपा से अलग बनाती है.
शशि थरूर ने कहा कि कांग्रेस को अपने इस सिद्धांत पर अडिग रहना चाहिए कि भारत सबके लिए है और वह इस बात को 130 वर्षों से कहती आ रही है. उन्होंने कहा, ”मैं राजनीतिक करियर के लिए कांग्रेस में नहीं आया. मैं कांग्रेस में आया क्योंकि यह समावेशी भारत के विचार को आगे बढ़ाने का सबसे प्रमुख माध्यम है. इन विचारों को सिर्फ एक सीट या पांच फीसदी वोट के लिए नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि आखिर में यही सवाल होगा कि हमारा रुख क्या है.”
‘पार्टी का कर्तव्य, करे धर्मनिरपेक्षता की रक्षा’
इससे एक दिन पहले थरूर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में रविवार को इस बात पर जोर दिया कि उनकी पार्टी का यह कर्तव्य है कि वह धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करे. साथ ही, उन्होंने कहा था कि हिंदी पट्टी में पार्टी के संकट ”बहुसंख्यक तुष्टिकरण” या ”कोक लाइट” की तर्ज पर किसी तरह के ‘लाइट हिंदुत्व’ की पेशकश करने से दूर नहीं हो सकते हैं क्योंकि इस रास्ते पर चल कर ‘कांग्रेस जीरो’ हो जाएगी.