कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को एक साथ कई पर्व मनाए जाते हैं। इस सूची में धनतेरस, यम पञ्चक प्रारम्भ, यम दीपम, प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि, काली चौदस, हनुमान पूजा आदि पर्व शामिल है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हनुमान जंयती का पर्व एक वर्ष में दो बार पड़ता है, दोनों ही दिन पवनपुत्र हनुमान की पूजा के साथ रामायण, रामचरित मानस का अखंड पाठ, सुंदरकांड का पाठ एवं हनुमान बाहुक आदि का पाठ किया जाता है। अगर हनुमान जयंती के साल में दो बार पड़ने के पीछे के कारण की बात करें तो कहा जाता है इसका कारण है कर्क राशि से दक्षिण वासी इनका जन्मदिन चैत्र पूर्णिमा को मनाया जाता है, जबकि कर्क राशि से उत्तरवासी हनुमान जी के जन्मोत्सव कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।
सनातन धर्म से संबंध रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए इसका अधिक महत्व है। इसलिए बहुत से लोग इस दिन व्रत आदि रखते हैं और श्रद्धा भावना से इनकी पूजा करते हैं। इतना ही नहीं इस दिन लोग अपने घरों में भव्य रूप से हनुमान चालीसा आदि के पाठ का आयोजन करते हैं। ज्योतिष मान्यता है कि इस दिन पांच या 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी की असीम कृपा की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में इनका नाम को लेकर एक श्लोक वर्णित है जिसके द्वारा पता चलता है कि इनका नाम हनुमान क्यों पड़ा।
जीवन के संकटों से बचने हेतु जाने अपने ग्रहों की चाल, देखें जन्म कुंडली इस प्रकार है वो श्लोक-
वायुपुराण में एक श्लोक वर्णित है-
आश्विनस्या सितेपक्षे स्वात्यां भौमे च मारुतिः।
मेष लग्ने जनागर्भात स्वयं जातो हरः शिवः।।
अर्थात- भगवान हनुमान का जन्म कृष्ण पक्ष चतुर्दशी मंगलवार को स्वाति नक्षत्र की मेष लग्न और तुला राशि में हुआ था। अपने बाल्य काल में हनुमान तरह-तरह की लीलाएं करते थे। एक दिन अधिकतर भूख लगने पर उन्होंने सूर्य को मधुर समझकर अपने मुंह में भर लिया। जिसके कारण पूरे संसार में अंधेरा छा गया। तो वहीं इंद्र देव ने इसे विपत्ति समझकर हनुमान जी पर व्रज से प्रहार किया। जिस कारण उनकी ठोड़ी टेढ़ी हो गई। कहा जाता है इसी कारण उन्हें हनुमान नाम से जाना जाता है। बता दें हनुमान जी के जन्मोत्सव को देश भर में हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि श्री हनुमान ने शिव जी के 11वें अवतार के रूप में माता अंजना की कोख से जन्म लिया था।
हनुमान जयंती एक वर्ष में 2 बार मनाया जाता है। पहला हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को, दूसरा कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी अर्थात नरक चतुर्दशी को। इसके अलावा तमिलनाडु और केरल में हनुमान जन्मोत्सव मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को तथा ओडिशा में वैशाख महीने के पहले दिन मनाया जाता है।
दरिद्रता से मुक्ति के लिए ज़रूरी है अपने ग्रह-नक्षत्रों की जानकारी, देखिए अपनी जन्म कुंडली मुफ़्त में 1. कहा जाता है कि चैत्र पूर्णिमा को मेष लग्न, चित्रा नक्षत्र में मंगलवार के दिन प्रातः 6 बजकर 03 मिनट पर हनुमानजी का जन्म एक गुफा के अंदर हुआ था।
देखिए अपनी जन्म कुंडली, जानिए अपना भाग्य और कीजिए सफलता की तैयारी 2. एक और मान्यता अनुसार हनुमानजी का जन्म कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मंगलवार के दिन, स्वाति नक्षत्र और मेष लग्न में हुआ था।
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हस्तरेखा ज्योतिषी से जानिए क्या कहती हैं आपके हाथ की रेखाएँ4. मान्यता के अनुसार चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को उनका जन्म हुआ था। दूसरी तिथि के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन हनुमानजी सूर्य को फल समझकर खाने के लिए दौड़े थे, उसी दिन राहु भी सूर्य को अपना ग्रास बनाने के लिए आया हुआ था लेकिन हनुमानजी को देखकर सूर्यदेव ने उन्हें दूसरा राहु समझ लिया था।
हस्तरेखा ज्योतिषी से जानिए क्या कहती हैं आपके हाथ की रेखाएँ 5. मान्यता के अनुसार माता सीता ने हनुमानजी की भक्ति और समर्पण को देखकर उनको अमरता का वरदान दिया था। यह दिन नरक चतुर्दशी का दिन था।
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