दीपावली का त्योहार हिंदू धर्म का एक बहुत ही प्रमुख त्योहार है, जिसे पूरे देशभर में बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को भगवान राम 14 साल के वनवास काटने के बाद और रावण का वध करके वापस अयोध्या आए थे, जिसकी खुशी में अयोध्या वासियों ने पूरे नगर को दीपक जलाकर खुशियां मनाई थी।
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त- पटना
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 05:08 से 06:16
अवधि – 01 घण्टा 08 मिनट
प्रदोष काल – 05:08 से 07:42
वृषभ काल – 05:53 से 07:50
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त- हैदराबाद
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 05:45 से 06:16
अवधि – 00 घण्टे 32 मिनट
प्रदोष काल – 05:45 से 08:15
वृषभ काल – 06:33 से 08:34
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त- कोलकाता
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 05:45 से 06:16
अवधि – 00 घण्टे 31 मिनट
प्रदोष काल – 04:59 से 07:31
वृषभ काल – 05:45 से 07:44
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त- जयपुर
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 05:44 से 06:16
अवधि – 00 घण्टे 33 मिनट
प्रदोष काल – 05:44 से 08:18
वृषभ काल – 06:28 से 08:25
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त- चंडीगढ़
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 05:35 से 06:16
अवधि – 00 घण्टे 42 मिनट
प्रदोष काल – 05:35 से 08:11
वृषभ काल – 06:17 से 08:12
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त- लखनऊ
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 05:23 से 06:16
अवधि – 00 घण्टे 53 मिनट
प्रदोष काल – 05:23 से 07:58
वृषभ काल – 06:08 से 08:04
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त- नोएडा
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 05:35 से 06:16
अवधि – 00 घण्टे 41 मिनट
प्रदोष काल – 05:35 से 08:11
वृषभ काल – 06:19 से 08:15
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त- नई दिल्ली
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 05:36 से 06:16
अवधि – 00 घण्टे 41 मिनट
प्रदोष काल – 05:36 से 08:11
वृषभ काल – 06:20 से 08:15
दिवाली निशिता काल पूजा मुहूर्त ( 01 नवंबर, 2024)
महानिशीथ काल : 23:38 से 24:30 तक (02 नवंबर)
सिंह काल : 24:52 से 27:10 तक (02 नवंबर)
(अमावस्या तिथि निशिता मुहूर्त के साथ व्याप्त नहीं है।)
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त (01 नवंबर, 2024)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 05:36 से 06:16
अवधि – 00 घण्टे 41 मिनट
प्रदोष काल – 05:36 से 08:11
वृषभ काल – 06:20 से 08:15
दिवाली 2024- उदया काल तिथि और मुहूर्त
हिंदू धर्म में ज्यादातर पर्व और त्योहार की तिथियों की गणना उदया तिथि के आधार पर की जाती है। उदया तिथि उसे कहते हैं जब सूर्योदय के समय जो तिथि व्याप्त होती है। यानी कोई तिथि सूर्योदय के समय के बाद 3 प्रहर तक रहती है तो उसे उदया तिथि कहते हैं। कार्तिक अमावस्या की उदया तिथि 01 नवंबर को सूर्योदय के बाद 3 प्रहर तक रहेगी। यानी 01 नवंबर को अमावस्या तिथि में प्रदोष काल भी रहेगा। यानी 01 नवंबर को लक्ष्मी पूजन करना कुछ विद्वान उचित मान रहे हैं। कुछ विद्वानों का मत है कि 01 नवंबर को दिवाली चतुर्दशी से युक्त अमावस्या से ज्यादा अच्छा प्रतिपदा से युक्त अमावस्या होती है। इसलिए 01 नवंबर को दीपावली मनाई जानी चाहिए।
दिवाली 2024- निशिथ काल मुहूर्त
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त जहां प्रदोष व्यापिनी अमावस्या तिथि और स्थिर लग्न को माना जाता है तो वहीं दिवाली के मध्य रात्रि के समय आने वाला मुहूर्त महानिशीथ काल पर मां काली की पूजा का विधान होता है। महानिशीथ काल में पूजा तांत्रिक,पंडित और साधकों के लिए सबसे सर्वोत्तम मानी जाती है।
दिवाली 2024- प्रदोषकाल मुहूर्त
दिवाली पर देवी लक्ष्मी का पूजन प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त) और स्थिर लग्न में किया जाना चाहिए। प्रदोष काल का समय हर दिन सूर्यास्त होने से 2 घड़ी यानी 48 मिनट तक रहता है। दिल्ली के समय अनुसार 31 अक्तूबर को शाम 5 बजकर 36 मिनट पर सूर्यास्त होगा। 31 अक्तूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से अमावस्या प्रारंभ हो चुकी होगी और प्रदोष काल अमावस्या तिथि पर रहेगी। ऐसे में 31 अक्तूबर को शाम 5 बजकर 36 मिनट के बाद दिवाली लक्ष्मी पूजन आरंभ कर सकते हैं।
दिवाली 2024 लक्ष्मी पूजा तिथि
पंचांग के मुताबिक 31 अक्तूबर, गुरुवार के दिन पूरी रात्रि अमावस्या तिथि के साथ प्रदोष काल और निशीथ मूहूर्त काल भी है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार 31 अक्टूबर के दिन दीवाली का पर्व और लक्ष्मी पूजन करना सबसे अधिक फलदाई होगा, क्योंकि दिवाली का पर्व तभी मनाना उत्तम रहता है जब प्रदोष से लेकर निशिथा काल तक अमावस्या तिथि रहे।
इस वर्ष दिवाली की तारीख को लेकर मतभेद क्यों?
इस बार कार्तिक अमावस्या तिथि दो दिन पड़ने के कारण दिवाली के त्योहार को लेकर कुछ कंफ्यूजन की स्थिति बनी हुई है कि दिवाली 31 अक्तूबर को मनाई जाय या फिर 01 नवंबर को। दरअसल शास्त्रों में दिवाली पर महालक्ष्मी का पूजन अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल और स्थिर लग्न में सबसे सर्वोत्तम माना गया है। प्रदोष काल के अलाव महानिशीथ काल में लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता लक्ष्मी का प्राकट्य अमावस्या तिथि के संध्याकाल में हुआ था इस कारण से दिवाली का पर्व और लक्ष्मी पूजन प्रदोषकाल और रात्रिकाल निशीथ काल में होती है।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 05:32 से 08:51 तक
प्रदोष काल – 05:48 से 08:21
वृषभ काल – 06:35 से 08:33
गोधूलि मुहूर्त– शाम 05:36 से 06:02 तक
संध्या पूजा– शाम 05:36 से 06:54 तक
निशिथ काल पूजा- रात्रि 11: 39 से 12: 31 तक
लक्ष्मी पूजा का पहला मुहूर्त शाम 5 बजे से…
आज शुभ दीपोत्सव का पर्व दीपावली है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। आज लक्ष्मी पूजा का पहला मुहूर्त शाम करीब 5 बजे से शुरू होगा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दिवाली पर लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल के बाद किया जाता है।
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त (01 नवंबर, 2024)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 05:36 से 06:16
अवधि – 00 घण्टे 41 मिनट
प्रदोष काल – 05:36 से 08:11
वृषभ काल – 06:20 से 08:15
दिवाली लक्ष्मी पूजा शुभ चौघड़िया मुहूर्त 2024
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 06:33 से 10:42 तक
अपराह्न मुहूर्त (चर) – 04:13 से 05:36 तक
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 12:04 से 01:27 तक
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त (01 नवंबर, 2024)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 05:36 से 06:16
अवधि – 00 घण्टे 41 मिनट
प्रदोष काल – 05:36 से 08:11
वृषभ काल – 06:20 से 08:15
दिवाली लक्ष्मी पूजा शुभ चौघड़िया मुहूर्त 2024
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 06:33 से 10:42 तक
अपराह्न मुहूर्त (चर) – 04:13 से 05:36 तक
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 12:04 से 01:27 तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:36 से 06:02 तक
संध्या पूजा- शाम 05:36 से 06:54 तक
निशिथ काल पूजा- रात्रि 11: 39 से 12: 31 तक
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त
दिवाली 2024- अमावस्या तिथि
- कार्तिक अमावस्या तिथि प्रारंभ- 31 अक्तूबर को दोपहर 03:52 मिनट से।
- कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त- 01 नवंबर को शाम 06:16 मिनट तक।
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त (31 अक्तूबर 2024)
- लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 06:45 से 08:30 तक
- अवधि – 01 घण्टे 45 मिनट
- प्रदोष काल – 05:48 से 08:21
- वृषभ काल – 06:35 से 08:33
शिववास योग
दीवाली के शुभ अवसर पर दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में मां लक्ष्मी की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। इससे सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस समय भगवान शिव कैलाश पर मां गौरी के साथ रहेंगे। ऐसे में आप भगवान शिव का अभिषेक कर सकते हैं। इस साल दीवाली पर चित्रा नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है।
लक्ष्मी पूजा संपूर्ण पूजा विधि
- दिवाली के दिन शाम के समय लक्ष्मी जी की पूजा के लिए सबसे पहले पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी रखें, फिर इस चौकी पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाएं।
- इसके बाद चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति को विराजित करें और दाहिन तरफ मां लक्ष्मी की मूर्ति को रखें। साथ ही जल से भरा कलश भी रखें।
- सभी पूजन सामग्री को साथ में लेकर आसान पर बैठें और चारो तरफ गंगाजल का छिड़काव करते हुए पूजा आरंभ कर दें।
- सबसे पहले गणेश स्तुति और वंदना करते हुए गणेश की पुष्य, अक्षत, गंध, फल और भोग अर्पित हुए तिलक लगाएं।
- भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हुए मां लक्ष्मी को सिंदूर अर्पित करते हुए सभी तरह की पूजन सामग्री भेंट करें।
- फिर भगवान गणेश, माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के बाद विधि-विधान के साथ कुबेर देव और मां सरस्वती की पूजा करें।
- इसके बाद परिवार सभी लोग महालक्ष्मी की आरती, मंत्रों का जाप और स्तुति पाठ करें।
- दीपक जलाएं और घर के हर एक हिस्से में रखें महालक्ष्मी पूजन के बाद तिजोरी और बहीखाते की पूजा करें।
- इसके अलावा दिवाली पर पूर्वजों को याद करते हुए उनकी पूजा-अर्चना, धूप और भोग अर्पित करें।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का महत्व
दिवाली पर धन और सुख-समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की पूजा के साथ भगवान गणेश, कुबेर देवता और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा करने का विधान होता है। दीपावली पर मां लक्ष्मी का पूजन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद के तीन मुहर्त में किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दिवाली की रात माता लक्ष्मी बैकुंठ धाम से पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने आती हैं और घर-घर जाकर यह देखती हैं कि किन घरों में साफ-सफाई, अच्छी सजावट और विधि-विधान के साथ पूजा हो रही है। जिन घरों में पूजा-पाठ और साफ-सफाई होती है वहीं पर मां लक्ष्मी विराजमान हो जाती हैं। मां लक्ष्मी हर तरह की मनोकामनाओं का पूरा करती हैं।