मानसून सत्र में विपक्षी दलों के लगातार हंगामे के चलते राज्य सभा के 50 में से 40 घंटे बेकार हो गए और केवल 10 घंटे ही काम हो सका। राज्यसभा की कार्यवाही पहले दो सप्ताहों में तय समय का सिर्फ करीब 21.60 प्रतिशत ही चल सकी और दूसरे सप्ताह में यह आंकड़ा 13.70 प्रतिशत का रहा।
39 घंटे 52 मिनट हंगामे की भेंट चढ़े
अधिकारियों ने बताया कि कुल 50 कार्य घंटों में से 39 घंटे 52 मिनट हंगामे की भेंट चढ़ गए। पहले दो सप्ताहों में नौ बैठकों के दौरान उच्च सदन में केवल एक घंटे 38 मिनट का प्रश्नकाल ही हो सका। चार विधेयकों को पारित करने के लिए केवल एक घंटे 24 मिनट का विधायी कार्य हो सका। हंगामे के चलते सदन में केवल एक मिनट का शून्यकाल हुआ और चार मिनट का विशेष उल्लेख।
करदाताओं के 133 करोड़ रुपये का नुकसान
राज्यसभा सचिवालय ने दैनिक बुलेटिन में सदन में काम न होने से संबंधित जानकारी देने की पहली बार शुरुआत की है। सरकारी सूत्रों का दावा है कि अब तक संसद की कार्यवाही कुल निर्धारित 107 घंटे में से सिर्फ 18 घंटे ही चल पाई तथा इस व्यवधान से करदाताओं के 133 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सूत्रों ने बताया कि 19 जुलाई से आरंभ हुए संसद के मानसून सत्र में अब तक करीब 89 घंटे हंगामे की भेंट चढ़ चुके हैं।
19 जुलाई से आरंभ हुआ थामॉनसून सत्र
आधिकारिक सूत्रों की ओर से साझा किए गए विवरण के अनुसार इस व्यवधान से सरकारी खजाने को 133 करोड़ रुपये की क्षति पहुंची है। पेगासस और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर पिछले कई दिनों से संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है। 19 जुलाई से मॉनसून सत्र आरंभ हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही लगभग बाधित रही है।