इंदौर। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और चर्चा में रहने वाले नेता कैलाश विजयवर्गीय अब डिनर पॉलिटिक्स को लेकर चर्चा में हैं. दरअसल हाल ही में दो महत्वपूर्ण मौके ऐसे आए जब प्रदेश के दो बड़े नेताओं ने उनके साथ घर पर डिनर की इच्छा जताई. लेकिन कैलाश के साथ डिनर का मौका एक को ही मिल सका. प्रदेश के HM नरोत्तम मिश्रा को तो विजयवर्गीय के साथ बैठकर खाने का मौका मिल गया, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया को यह मौका नहीं मिल सका.
ज्योतिरादित्य सिंधिया के घर आने पर बंगाल में थे कैलाश विजयवर्गीय
- घर खाने पर आए सिंधिया से नहीं मिले थे विजयवर्गीय
दरअसल जब ज्योतिरादित्य सिंधिया कैलाश विजयवर्गीय के घर पर भोजन करने पहुंचे थे, उस दौरान उन्हें पश्चिम बंगाल का प्रभारी होने के कारण कोलकाता (पश्चिम बंगाल) जाना पड़ा था. इसे महज संयोग कहा जाए या डिनर पॉलिटिक्स? हालांकि इसके बाद कैलाश विजयवर्गीय ने स्पष्ट किया था कि वह सिंधिया से भेंट नहीं कर सके. इस दौरान नंदा नगर स्थित घर पर विजयवर्गीय परिवार ने सिंधिया के स्वागत में तरह-तरह के व्यंजन परोसे थे. उस दौरान भी कैलाश की गैरमजूदगी राजनीतिक हलकों में चर्चा का कारण बनी थी.
इसके बाद बीते डेढ़ साल में ऐसा एक भी मौका नहीं आया जब कैलाश विजयवर्गीय और ज्योतिरादित्य सिंधिया एक साथ नजर आए हो. हालांकि जब भी एक दूसरे के बारे में सवाल आते है, तो दोनों एक दूसरे को जन नेता बताते हुए सम्मान करते है. भाजपा में कैलाश विजयवर्गीय और ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर राजनीतिक परिस्थितियां फिर बदली है. कैलाश विजयवर्गीय के मन में इस बात की बेचैनी भी है कि मोदी मंत्रिमंडल में सिंधिया तो शामिल हो गए, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला.
नरोत्तम मिश्रा के साथ खाना खा रहे कैलाश विजयवर्गीय
- नरोत्तम मिश्रा के साथ खाया खाना
शिवराज मंत्रिमंडल के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा इंदौर के प्रभारी मंत्री घोषित हुए. नरोत्तम के पहले ही दिन इंदौर पहुंचने पर विजयवर्गीय से उनकी नजदीकियां डाइनिंग टेबल पर स्पष्ट हो गई. हालांकि नरोत्तम मिश्रा ने इंदौर आने की बात अपने दौरा कार्यक्रम में ही स्पष्ट कर दी थी. इंदौर आने पर कैलाश विजयवर्गीय ने नरोत्तम मिश्रा का स्वागत किया. इस दौरान सिंधिया के खास सिपहसालार तुलसी सिलावट भी प्रभारी मंत्री नरोत्तम मिश्रा के साथ में थे. इसी दौरान डिनर पर भोजन परोसने का काम विधायक आकाश विजयवर्गीय के जिम्मे था. उनके साथ विधायक रमेश मेंदोला, कैलाश विजयवर्गीय के करीबी हरिनारायण यादव और जीतू जिराती भी मौजूद थे.
- कैलाश और सिंधिया के बीच पुराना टकराव
कैलाश विजयवर्गीय और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच मतभेद मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव के दौरान उभरे थे. इसके बाद से ही दोनों कभी भी एक साथ नजर नहीं आए. एमपीसीए के उस चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय के तमाम प्रयासों के बावजूद ज्योतिरादित्य सिंधिया की जीत हुई थी. माना जाता है कि इसके बाद से ही दोनों एक दूसरे के सामने आने से कतराते हैं. अब की परिस्थितियों में भले ही सिंधिया और विजयवर्गीय दोनों एक ही पार्टी में हो, लेकिन दोनों के दिल अभी भी नहीं मिल पाए हैं.
- फिलहाल दोनों एक ही नाव पर सवार
कैलाश विजयवर्गीय ने शिवराज सरकार में मंत्री रहते हुए सरकार के कामकाज के तौर-तरीकों पर असहमति जताते हुए मंत्री पद से त्यागपत्र देकर पार्टी संगठन का काम करने की इच्छा जताई थी, ठीक उसी तरह की असहमति हाल ही में नरोत्तम मिश्रा कैबिनेट की बैठक में जल संसाधन विभाग के करोड़ों के ठेकों को लेकर जता चुके हैं. बीते कुछ सालों से विभिन्न मुद्दों पर नरोत्तम मिश्रा और शिवराज सिंह चौहान के बीच असहमति सार्वजनिक हुई है. यही वजह है कि जिस तरह पार्टी का काम करने की जिम्मेदारी केंद्रीय नेतृत्व ने कैलाश विजयवर्गीय को पश्चिम बंगाल भेज कर दी, उसी तरह बीते चुनाव में नरोत्तम मिश्रा को उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी जा चुकी है. खास बात यह भी है कि कैलाश और नरोत्तम दोनों ही अमित शाह के करीबी माने जाते हैं.