नई दिल्ली । कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन से अस्थमा रोगियों को राहत मिलने की संभावना है। अप्रैल और मई में लॉकडाउन के दौरान लोग सिर्फ जरूरी काम से ही घरों से बाहर निकले। घर से बाहर निकलने वाले ज्यादातर लोग मास्क लगा रहे थे। इस दौरान वाहनों की संख्या भी सड़कों पर कम हो गई थी। इसका फायदा अस्थमा के मरीजों को हुआ है।
गाजियाबाद जिला अस्पताल के वरिष्ठ जनरल फिजीशियन और एचओडी डा आरपी सिंह बताते हैं कि इस समय ओपीडी में पोस्ट कोविड मरीज, जिन्हें अस्थमा की परेशानी हो रही है, वे आ रहे हैं, लेकिन अस्थमा के सामान्य मरीजों में करीब 20 फीसद कमी आई है। गाजियाबाद के स्वास्तिक मेडिकल सेंटर के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ राहुल गुप्ता भी बताते हैं कि लॉकडाउन से अस्थमा रोगियों को राहत मिली है, उनके यहां अस्थमा मरीजों में कमी आई है।विशेषज्ञों के अनुसार इस संबंध में कोई स्टडी तो अभी नहीं कराई गई है लेकिन कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने से अस्थमा के रोगियों में कमी आना संभव है। इसका प्रमुख कारण लगातार मास्क लगाना है, जिससे अस्थमा रोगियों को राहत मिली है। इसके अलावा लॉकडाउन की वजह से लोग घरों से बाहर नहीं निकले हैं।साथ ही, सड़कों पर वाहनों की संख्या कम होने से भी पर्यावरण में भी सुधार हुआ है, यह भी अस्थमा रोगियों के लिए फायदेमंद साबित हुआ है। इसकी पुष्टि सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने की है।
सीएसई के अनुसार इस साल दिल्ली में छह अप्रैल से रात का कर्फ्यू और वीकेंड में लॉकडाउन लगाया गया था। 19 अप्रैल को पूर्ण लॉकडाउन लगा था। आंशिक-लॉकडाउन से पीएम 2.5 प्रदूषण स्तर 20 फीसद कम हो गया। पूर्ण लॉकडाउन ने औसत को 12 फीसद और नीचे ला दिया था। इस तरह 32 फीसदी की कमी आई है। इसके अलावा अगर अस्थमा और टीबी के मरीज लगातार मास्क लगाकर रखें तो उससे दूसरों में बीमारी फैलने की आशंका कम रहती है। लॉकडाउन के दौरान लोगों द्वारा बरती गई सावधानियों से अस्थमा मरीजों को लाभ हुआ है। ऐसे मरीजों की संख्या में कमी आई है। सोशल मीडिया में इससे संबंधित स्टडी को लेकर मैसेज चलाए जा रहे हैं। लेकिन एक्सपर्ट इस तरह की स्टडी से इंकार करते हैं।
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