कोरोना के घरेलू डॉक्टर बनिए और अपने घर को बनाइए प्राथिमिक कोविड अस्पताल


ग्वालियर: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अपने चरम पर है और हम सभी में फिर से वही लॉकडाउन, चिंता, डर और भय का माहौल व्याप्त हो रहा है। अबकी बार जो संक्रमण की लहर चल रही है वह कोरोनावायरस के नए स्वरूप (वायरल म्यूटेशन ) में परिवर्तन के कारण फैल रही है। कोरोना वायरस ने जब अपने शरीर की संरचना में परिवर्तन कर इंसानों को संक्रमित करना शुरू किया है तो स्वाभाविक है कि वह नए लक्षणों एवं नई ताकत के साथ आक्रमण करेगा। मेरा अनुमान है कि जब तक इस नए कोरोना वायरस से साठ से सत्तर आबादी संक्रमित होकर हर्ड इम्युनिटी नहीं पैदा करेगी तब तक इस नए वायरस से निजात पाना मुश्किल है। बदले स्वरूप में नया कोरोना का वायरस ज्यादा संक्रमणकारी एवं नए प्रकार के लक्षणों जिसमे लंबे समय तक बुखार (लगभग 10 से 12 दिन), दस्त, खांसी, शरीर टूटना, बदन दर्द, स्वाद का जाना जैसे शुरुआती लक्षणों के साथ अपना रंग दिखाना है। बाद में सांस फूलने लगती है। यही कारण है कि अबकी बार जनता में पहले से ज्यादा डर, भय और अफरा तफरी का माहौल पैदा होने लगा है। अफरातफरी का माहौल इसलिए भी ज्यादा व्याप्त हो रहा है क्योंकि सब जगह चिकित्सकीय संसाधनों जैसे, पलंग, अस्पताल, जांच किट, ऑक्सीजन, दवाइयों, डॉक्टर्स, नर्सेज, पैरामेडिकल स्टाफ इत्यादि की कमी देखी जा रही है जो कि और ज्यादा भयावह स्थिति का वातावरण जनता के बीच पैदा कर रही है। यह इसलिए भी हो रहा है कि उपलब्ध संसाधनों का विवेकशील, न्यायसंगत उचित उपयोग नहीं हो रहा है। शासकीय एवं प्राइवेट अस्पतालों की कमियों के बावजूद हम सभी को अपने सीमित संसाधनों जैसे जांच करने की किट, रेमडेसीविर जैसी दवाओं एवं अस्पतालों में उपलब्ध पलंगों का जरूरत के अनुसार न्याय संगत सूझबूझ से सदुपयोग करने की आवश्यकता है। उक्त क्रम में मेरे ज्ञान और अनुभव के द्वारा दिए निम्न सुझाव आम जनता को जागरूक कर उन्हें चिंता मुक्त एवं अफरा-तफरी के वातावरण से दूर रखकर कोरोना के प्रभावी घरेलू कोविड डॉक्टर बन कोरोना से लड़ाई में जीत दिलाने में मददगार साबित होंगे।
कोरोना महामारी एक घर छोड़ दूसरे और हर गली, मोहल्ले,गांव, कस्बे और शहर में व्याप्त हो चुकी है तो हमें आवश्यकता है कि शासकीय एवं प्राइवेट कोविड केयर सेंटर्स और अस्पतालों की कमी को देखते हुए उन पर अपनी निर्भरता कम कर आत्मनिर्भर बनना है एवं अपने घर को ही प्राथमिक कोविड घरेलू अस्पताल बना कर खुद को ही घरेलू कोविड डॉक्टर बनना है।

प्राथमिक कोविड घरेलू अस्पताल की आवश्यकताएं :
a) ऑक्सीमीटर यंत्र ( ऑक्सीजन सैचुरेशन नापने का यंत्र जिसमे ऑक्सीजन सैचुरेशन प्रतिशत में के अलावा पल्स रेट प्रति मिनट दर्शाई जाती है। )
उपयोग की विधि: इसे लगभग एक मिनिट तक तर्जनी, बीच की उंगली में लगा कर यदि किसी कारणवश संभव ना हो तो फिर किसी भी हाथ की उंगली में लगाया जाता है और जब रीडिंग स्थिर हों जाए तब ऑक्सीजन सैचुरेशन का प्रतिशत एवं पल्स रेट प्रति मिनट नोट कर सकते है।
कीमत: इस एक अच्छे उपकरण की कीमत लगभग 1000 से 1500 रुपए है।
b) थर्मामीटर ( शरीर के तापमान नापने का यंत्र )
उपयोग की विधि: इसके एक से दो सेंटीमीटर के सिल्वर/ स्टील ग्रे कलर के लेड से भरे भाग को जीभ के नीचे या कांख/ Axila ( बांह के अंदर) दो मिनट तक रखना है और उसके उपरांत डिग्री सेंटीग्रेड में रीडिंग नोट करना है।
कीमत: एक अच्छे थर्मामीटर की कीमत 100 से 200 रुपए है।
c) प्रथक कमरा पलंग सहित : अपने घर की संरचना एवं उपलब्धता या व्यवस्थानुसार।

घरेलू कोविड डॉक्टर बनने की योग्यता:
आपको इस पूरे लेख को ध्यान से पढ़कर अनुपालन करना है।

निम्न बताई गई मरीज की परिस्थिति अनुसार उपचार

  1. कोरोना महामारी फैली हुई है और आप स्वस्थ्य है यानी किसी भी प्रकार का कोई भी लक्षण आपके अंदर दिखाई नहीं दे रहा है और ना ही आप महसूस कर रहे है।:
    #इस अवस्था में बचाव ही आपका उपचार है।#
    a) आपको किसी भी जांच या इलाज की आवश्यकता नहीं है।
    b) नियमित साधारण व्यायाम, योगा, टहलना, श्वसन क्रिया इत्यादि करना है।
    c) पौष्टिक आहार जैसे दूध, मठा, पनीर, अंकुरित दाल चने, फल, हरी सब्जियां, सेव फल इत्यादि का सेवन अच्छी मात्रा में करना है।
    d) कोरोना की वैक्सीन को सही समय पर अपनी अपनी बारी आने पर अवश्य लगवाना है।
    e) अधिकांशजनों में कुछ ना कुछ विटामिंस या मिनरल्स की कमी हो सकती है जो कि उसकी रोगप्रतिरोधक क्षमता ( इम्यूनिटी ) को कम करती है इसलिए उसके बचाव के लिए प्रतिदिन
    विटामिन:
    = Cap Cobadex CZS एक कैप्सूल रोजाना एक महीने तक
    =विटामिन सी यानी Tab Limcee एक टैबलेट दिन में दो बार रोजाना एक महीने तक ।
    = कैल्शियम Tab Calcimax दिन में एक बार रोजाना एक महीने तक।
    = विटामिन डी Tab D3 MUST 60K सात दिन में एक बार एक महीने तक।
    यह सभी दवाइयां लगातार एक से दो महीने तक खाते रहना है। अगर आप नियमित पौष्टिक भोजन लेते हैं तो इन सहायक (Supportive) दवाओं को लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी फिर भी बेहतर होगा कि आप इन्हे कोरोना से प्राथमिक बचाव के आधार पर शुरू कर दें।
    f) अगर आपकी किडनी बीमारी, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हार्ट की बीमारी की दवा जैसे खून पतला करने की ( Anti platelet Tab Ecospirin/ Clopidogril ), कैंसर या किसी अन्य लंबी बीमारी की आवश्यक दवाएं चल रहीं हैं तो उन्हें जारी रखा जावे और उनके लिए आवश्यक चेकअप करा कर नियंत्रण में रखें।
  2. आप यदि घर, परिवार, दोस्त यार, पड़ोस, ऑफिस या अन्य किसी तरह से कोरोना से संक्रमित व्यक्ति (आरटीपीसीसी/ RTPCR टेस्ट में पॉजिटिव) के संपर्क में आ गए हैं और आपको कोरोना के कोई भी प्राथमिक या अन्य लक्षण नहीं हैं।
    कोरोना के प्राथमिक लक्षण हैं।:
    ± बुखार आना।
    ± दस्त।
    ± खांसी।
    ± शरीर टूटना या बदन दर्द।
    ± स्वाद का जाना ।
    ± सांस फूलना ।
    ± ऑक्सीजन सैचुरेशन 96 प्रतिशत से नीचे।
    ± शारीरिक तापमान/ बुखार 100 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर है इत्यादि।

a) आप अपने आप को घर में कम से काम 7 दिन आइसोलेट/ क्वारेंटाइन कर लें।
b) नियमित प्रतिदिन तारीख लिखकर हर 4 – 4 घण्टे का कागज पर चार्ट बना कर ऑक्सीजन सैचुरेशन, शरीर का तापमान एवं पल्स रेट अंकित करें। ( ऑक्सीमीटर एवं थर्मोमीटर का उपयोग करना होगा)
c) पौष्टिक आहार, व्यायाम के साथ साथ निम्न सहायक ( सपोर्टिव) दवाओं का सेवन अवश्य प्रारंभ कर दें

= Cap Cobadex CZS एक कैप्सूल रोजाना एक महीने तक।
=विटामिन सी यानी Tab Limcee एक टैबलेट दिन में दो बार रोजाना एक महीने तक।
= कैल्शियम Tab Calcimax दिन में एक बार रोजाना एक महीने तक।
= विटामिन डी Tab D3 MUST 60K सात दिन में एक बार एक महीने तक।

नोट:
# किसी भी टेस्ट आरटीपीसीटी (RTPCR), रैपिड एंटीजन टेस्ट ( RAT), सीटी स्कैन छाती ( CT Scan Chest ) एवं कोरोना के मार्कर ( विशेष टेस्ट ) ब्लड टेस्ट इत्यादि कराने की जरूरत नहीं है।
# क्रिसी भी प्रकार की एंटीबायोटिक दवा की आवश्यकता नहीं है

  1. यदि कोरोना के प्राथमिक लक्षण ( बिंदु क्रमांक 2 में प्राथमिक लक्षणों का वर्णन है) उत्पन्न होने लगे है तब:
    a) कोरोना का आरटीपीसीआर अथवा रैपिड एंटीजन टेस्ट करवाना चाहिए।
    b) आपको कम से कम दस दिन तक अपने आपको 10 दिनों तक प्रथक / आईसोलेट/ क्वारेंटाईन करना है जिसमे कम से कम आखिरी के तीन दिनों तक कोरोना का कोई भी प्राथमिक लक्षण नहीं होना चाहिए।
    c) ऑक्सीजन सैचुरेशन के प्रतिशत, शारीरिक तापमान एवं पल्स रेट की चार्टिंग 4 – 4 घंटे की जगह 2 – 2 घंटे से कागज पर बना कर रखना चाहिए।
    d) अपने कमरे में ही अलग रह कर आराम करने के साथ साथ पौष्टिक आहार एवं बिंदु क्रमांक 2 में बताई गई सहायक ( सपोर्टिव दवाओं ) के साथ साथ एंटीबायोटिक दवा
    Tab Azithromycin 500 mg दिन में एक बार, पाँच दिन तक उसके उपरांत Cap Doxy 100 mg दिन में दो बार अगले दस दिन तक देना है।
    e) अगर हल्की खांसी है तब Tab Monti FX रात सोने से पहले दिन में एक बार रोजाना लेना है। अगर खांसी ज्यादा और सूखी है तब Syp Grillinctus दो दो चम्मच सुबह शाम या तीन बार भी ले सकते हैं। अगर खांसी में बलगम है तब Syp Grillinctus BM दो दो चम्मच दिन में दो से तीन बार ले सकते है।
    f) बुखार 100 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर होने पर Tab Calpol 650 mg जब भी बुखार हो लेना है यह गोली आवश्यक्ता होने पर दिन में चार बार तक भी ले सकते है।
    g) बदन टूटना या शरीर में दर्द होने पर भी Tab Calpol 650 mg आवश्यकता के अनुसार ली जा सकती है।
    h) कोई भी अन्य लक्षण या तकलीफों के लिए चिकित्सक से ऑनलाइन सलाह कर दवा ली जा सकती है।

नोट:
# जब सामान्य मरीज का ऑक्सीजन सैचुरेशन 92 प्रतिशत से ऊपर एवं पुरानी गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति का ऑक्सीजन सैचुरेशन 94 प्रतिशत के ऊपर हो साथ ही कोरोना के प्राथमिक लक्षण हों लेकिन आरटीपीसीआर/ रैपिड एंटीजन टेस्ट नेगेटिव आया हो तब भी उपरोक्त इलाज घर पर ही दिया जा सकता है।

# ध्यान रखना है कि सामान्य मरीजों में ऑक्सीजन सैचुरेशन का स्तर 92 प्रतिशत के ऊपर बना रहे। एवं पुरानी गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति का ऑक्सीजन सैचुरेशन 94 प्रतिशत के ऊपर बने रहना आवश्यक है।

  1. कोरोना वायरस के टेस्ट ( आरटीपीसीआर, रैपिड एंटीजन टेस्ट ( RAT), सीटी स्कैन, एवं अन्य ब्लड टेस्ट) का उचित समय :

a. आरटीपीसीआर/ रैपिड एंटीजन टेस्ट: हमें आरटी पीसीआर टेस्ट / रैपिड एंटीजन टेस्ट या तो कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के सात दिन के बाद कराना चाहिए या फिर जब कभी भी किसी व्यक्ति में कोई भी कोरोना के प्राथमिक लक्षण ( बिंदु क्रमांक 2 में बताए गए हैं। )उत्पन्न हों वरना टेस्ट की कोई उपयोगिता नहीं है और व्यर्थ ही रहेंगे।

b) सीटी स्कैन चेस्ट ( CT SCAN CHEST) एवं कोरोना के अन्य ब्लड मार्कर जैसे D- Dimer, Serum ferritin, IL6, LDH, CRP :
± सामान्य मरीजों में जब ऑक्सीजन सैचुरेशन 92 प्रतिशत से नीचे जा रहा हो तब यह टेस्ट कराना चाहिए। अगर 92 प्रतिशत के ऊपर ऑक्सीजन सैचुरेशन है तब सीटी स्कैन चेस्ट या अन्य कोरोना ब्लड मार्कर टेस्ट कराने की कोई अतिआवश्यकता नहीं है।
± पुरानी बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति जैसे, किडनी की बीमारी, डायबिटीज, दिल की बीमारी, कैंसर या अन्य कोई पुरानी लंबी बीमारी से ग्रसित व्यक्ति का ऑक्सीजन सैचुरेशन 94 प्रतिशत से नीचे हो तब ही उक्त टेस्ट कराना चाहिए।
± कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद तुरंत ही कोई भी लक्षण नहीं रहने पर कोई भी टेस्ट चाहे आरटीपीआर हो, सीटी स्कैन हो या अन्य कोई भी ब्लड टेस्ट नहीं कराने की आवश्यकता है।

  1. कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति को भर्ती का उचित समय:
    a) जब किसी सामान्य व्यक्ति का ऑक्सीजन सैचुरेशन 92% से कम हो।
    b). जब कोरोना संक्रमित व्यक्ति पुरानी बीमारियों जैसे किडनी, डायबिटीज, ह्रदय रोग कैंसर इत्यादि से ग्रसित हो, जब कोई ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ हो, गर्भवती हो या फिर कोई बच्चा हो तब ऑक्सीजन सैचुरेशन 94 % से कम हो।
    ऑक्सीजन का प्रतिशत अगर इनसे ऊपर है तो व्यक्ति को भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है लेकिन हर दो दो घंटे के अंतराल पर ऑक्सीजन सैचुरेशन, शारीरिक तापमान ( बुखार ) एवं पल्स का चार्ट बनाते रहना चाहिए।
    c) अगर ऑक्सीजन सैचुरेशन का प्रतिशत किसी भी परिस्थिति में 94 प्रतिशत से नीचे जा रहा है और आप घर पर हैं तब ऑक्सीजन सैचुरेशन का प्रतिशत ऊपर बनाए रखने के लिए उल्टा यानी पेट के बल लेट कर एक मोटा तकिया गर्दन टेड़ी कर सर के नीचे, एक मोटा तकिया पेट के नीचे ( छाती के नीचे कुछ नहीं ) और एक मोटा तकिया पंजों के नीचे रखकर जितना अधिक समय तक लेट सकते है लेटना है। इस अवस्था में आपका ऑक्सीजन सैचुरेशन बढ़ने की गुंजाइश रहेगी।
    # बताई गई उल्टा लेटने की अवस्था के लिए सख्त मना है अगर 1. किसी की रीढ़ की हड्डी में चोट है। 2. अगर किसी के पेट इत्यादि का ऑपरेशन हाल ही में हुआ है और टांके लगे हुए हैं। 3. अगर दिल की बीमारी या अन्य किसी कारण से लेटने के के लिए मना किया गया है। 4. गर्भवती महिलाएं अपने बाई ओर चिकित्सक की सलाह लेकर आधी करवट से लेट सकती हैं।

अगर ऑक्सीजन सैचुरेशन बताए गए कट ऑफ 92% या 94% ( मरीज की पुरानी बीमारी की हिस्ट्री के आधार पर ) से नीचे लगातार बना रह रहा है तब नजदीकी अस्पताल में ले जाकर चिकित्सक की सलाह के अनुसार उपचार अथवा भर्ती करना है।

नोट:
± बुखार का लंबे समय तक बने रहना नए कोरोना वायरस में अक्सर देखा जा रहा है इसलिए घबराने की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए बुखार उतारने की गोली Tab Calpol 650 mg दिन में चार बार तक भी ली जा सकती है। फिर भी आप बुखार रहने पर अपने चिकित्सक से नितत मोबाइल, वीडियो कांफ्रेंसिंग या कोई भी दूर संचार के माध्यम से संपर्क में रहें।

6 दवाओं का उचित उपयोग:
a). जब तक कोई लक्षण ना हो तब तक मल्टीविटामिन, प्रोटीन सहित पौष्टिक भोजन के अलावा कोई भी एंटीबायोटिक, एंटीवायरल, स्टेरॉयड या ब्लड थिनर की आवश्यकता नहीं है। अगर पहले से स्टेरॉयड या ब्लड थिनर्स चल रहे हैं तो उन्हें जारी रखा जाए।
b) रेमडेसीविर इंजेक्शन
i) इस दवा का उपयोग सिर्फ भर्ती एवं भर्ती किए जाने के गंभीर मरीजों में चिकित्सक की सलाह पर ही किया जाना चाहिए। मरीज के परिजनों द्वारा दबाव बनाकर साधारण एवं कम गंभीर मरीजों में उसका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए एवं व्यर्थ ही है।
ii) आरटीपीसीआर / रैपिड एंटीजन टेस्ट के द्वारा पुष्टि किए गए कोरोना के मरीज एवं बिंदु क्रमांक 5 में भर्ती करने वाले परिस्थितियों में ही उपयोग किया जाना चाहिए।
iii) कोरोना बीमारी पार जाने के दस दिन बाद रेमडेसिवीर इंजेक्शन दिए जाने का कोई ज्यादा फायदा नहीं है।
अतः चिकित्सक की सलाह पर ही चिकित्सक के द्वार रेमडेसिविर इंजेक्शन का उपयोग मरीजों के लाभ की अपेक्षा में किया जाना उचित है।
c. स्टेरॉयड का उपयोग शुरुआती बीमारी के दौरान करने से बचना चाहिए । शुरुआती दौर में स्टेरॉइड रोग प्रतिरोधक क्षमता कम करने एवं कोरोनावायरस संक्रमण को और अधिक फैलाने से नुकसान हो सकता है। उसके उपरांत चिकित्सक की सलाह पर ही इनका उपयोग किया जाना चाहिए।

  1. बाल एवं शिशुओं एवं 40 किलो से नीचे बच्चो में दवा की मात्रा उसके वजन के अनुसार परिवर्तित की जाने की आवश्यकता होती है अतः बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ से सलाह कर दवा की मात्रा का निर्धारण कर उपयोगी दवाएं दी जाना चाहिए।
  2. वैक्सीन का उपयोग:
    a) वैक्सीन हम सभी को अधिक से अधिक संख्या में लगवाना है। लेकिन उसके बाद एंटीबॉडी बन जाने के बाद हमें मास्क, दो गज की दूरी एवं सैनिटाइजेशन इत्यादि की सावधानियां बरतना फिर भी आवश्यक है क्योंकि उसके बाद भी कोरोना वायरस का संक्रमण हो सकता है।
    b) वैक्सीन मरीज की मृत्यु दर कम करने एवम कोरोना बीमारी की गंभीरता कम करने में सहायक है।
  3. संचार माध्यमों का उपयोग: कोशिश की जानी चाहिए कि मोबाइल, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एवं अन्य दूर संचार के माध्यमों के द्वारा चिकित्सकों के नियमित संपर्क में रहकर कम गंभीर एवं लक्षणों वाले मरीज अपना इलाज घर पर ही सुनिश्चित करें।

डॉ सुनील अग्रवाल
प्राध्यापक सर्जरी विभाग
गजरा राजा चिकित्सा महाविद्यालय ग्वालियर।
एवंअध्यक्ष सेन्ट्रल मेडीकल टीचर्स एसोसिएशन, मध्य प्रदेश।

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