
इंदौर।
यदि किसी वस्तु या सेवा के विक्रेता ने टैक्स या रिटर्न दाखिल नहीं और क्रेता ने इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल की तो विभाग ऐसे क्रेताओं को बोगस बिल के नोटिस थमा देता है। कोरोना काल में इस तरह के नोटिस की समस्या और बढ़ गई है। सोमवार को सीए ब्रांच इंदौर के सेमिनार में देशभर के सीए ने यह समस्या रखी। सीए शाखा ने जीएसटी एवं बोगस बिल विषय पर वर्चुअल सेमिनार का आयोजन किया था।
इंदौर सीए शाखा के अध्यक्ष सीए कीर्ति जोशी ने कहा की यदि कोई व्यक्ति जीएसटी में वस्तु या सेवा प्राप्त किये बिना केवल उसका बिल ले कर इनपुट टैक्स क्रेडिट लेता है। बिना बिल के वस्तु या सेवा प्रदान करता है। अन्य तरह से इनपुट टैक्स की छूट लेने के लिए गलत तरीके अपनाता है तो यह सिद्ध होने पर विभाग क्रेता एवं विक्रेता पर इनपुट टैक्स की राशि के बराबर की पेनल्टी लगा सकता है। साथ ही कर अपवंंचन दो करोड़ से अधिक है, तो जीएसटी कानून की धारा-69 में गिरफ्तारी भी हो सकती है। जीएसटी कानून की धारा-132 में तीन से पांच साल के कारावास का भी प्रविधान है।
सूरत से सीए अविनाश पोद्दार ने कहा की जीएसटी एक्ट में अब भी कई सुधार की आवश्यकता है। जीएसटी विभाग द्वारा यदि विक्रेता ने किसी भी कारणवश यदि टैक्स नहीं भरा है या रिटर्न दाखिल नहीं किए है तो इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने वाले व्यापारियों को सीधे बोगस बिल का नोटिस थमा कर कार्यवाही प्रारंभ कर देते है जो उचित नहीं है। कोविड काल में यह समस्या और भी बढ़ गई है।
दरअसल, कई व्यापारियों ने व्यापार बंद कर दिया है। विभाग ने ऐसे मामलो में व्यापारी के व्यापार स्थल पर न पाए जाने के कारण बोगस बिल के नोटिस थमा दिए जाते है । इस तरह के नोटिस जारी करना सर्वथा अनुचित है। कई व्यापार ऐसे होते है जैसे स्क्रैप, कॉटन या टेक्सटाइल जिसमें सामान्यतया ब्रोकर द्वारा वस्तु खरीदी जाती है एवं क्रेता व्यापारी विक्रेता को नहीं जानता ऐसे में यदि ब्रोकर वस्तु किसी व्यापारी से ख़रीदे एवं बिल किसी दूसरे व्यापारी से तो ऐसे में उस ब्रोकर से वस्तु क्रय करने वाले व्यापारी को जवाबदार ठहरना उचित नहीं है। कार्यक्रम में सीए चर्चिल जैन, सीए अंकुश जैन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सीए समकित भंडारी ने किया।