नई दिल्ली । केंद्र सरकार और ऑल इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएफआर) ने एन 95 मास्क को पहले कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी बताया। मंत्री, अधिकारी देशभर के सारे अस्पतालों, डॉक्टरों और आम लोगों ने अरबों रुपए के एन 95 मस्क खरीद लिए। अब केंद्र सरकार तथा इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च कह रही है, कि यह वायरस को रोकने में कारगर नहीं है। आम आदमी यह नहीं समझ पा रहा है, कि वह सरकार की किस बात को माने और किस बात को नहीं माने। मास्क नहीं लगाने पर पुलिस सड़कों पर वसूली कर रही है। सरकार की बात मानकर महंगे एन 95 मास्क लोगों को असानी से नहीं मिले, तो ब्लैक में खरीदें। अब एक ही झटके से सरकार ने कह दिया कि इससे कोरोना संक्रमण रोक पाना संभव नहीं है।
अब लोगों के मन में यह जिज्ञासा है, कि सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजर भी कोरोना संक्रमण को रोकने में सक्षम है, या नहीं। अब यह कहा जाने लगा है, कि कोरोना का संक्रमण हवा के माध्यम से फैल रहा है। कोरोना को लेकर जिस तरह आईसीएमआर की आड़ लेकर केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा आम लोगों पर कहर बरपाया जा रहा है। भय, जुर्माने और लॉक डाउन की जो बहार भारत में फैली है। उससे आम आदमी अब भयभीत हो गया है। इतने सारे भय, आम आदमी के दिमाग में डाल दिए गए हैं। जिससे अब लोग मानसिक रूप से बीमार भी हो रहे हैं वहीं आईसीएमआर की आड़ लेकर दवा कंपनियां और मास्क सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियां रातों-रात करोड़पति और अरबपति बन रही हैं। आम लोगों के मन में अब सरकारों के प्रति भरोसा खत्म हो रहा है, गुस्सा बढ़ रहा है। इस तरफ भी सरकारों को ध्यान देना जरूरी हो गया है।
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