चेन्नई. पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने केंद्र सरकार पर अपने प्रति दोहरा रवैया रखने का आरोप लगाया है। नारायणसामी ने गुरुवार को कहा कि केंद्र जब चाहता है तब अपनी सुविधा के अनुसार पुडुचेरी को राज्य या केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे देता है। इससे अच्छा तो वह (केंद्र) पुडुचेरी को ट्रांसजेंडर घोषित कर दें।
‘हम न इधर के हैं, न उधर के’
- नारायणसामी ने आरोप लगाया कि केंद्र की इन नीतियों के चलते हम न इधर के रहे, न उधर के। अभी यही हमारी स्थिति है। उन्होंने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) का उदाहरण देते हुए कहा, “इस मामले में हमसे राज्य की तरह बर्ताव किया जाता है और केंद्र हमारा पैसा ले लेता है। लेकिन जब अलग-अलग योजनाओं को लागू करने की बात आती है तो वे हमसे केंद्र शासित प्रदेश की तरह व्यवहार करते हैं।”
- ‘पुडुचेरी की परेशानी दिल्ली की तरह’कांग्रेस नेता ने कहा कि पुडुचेरी प्रशासन उसी तरह की समस्याओं का सामना कर रहा है, जैसी दिल्ली को करनी पड़ती हैं। यह उन केंद्र शासित प्रदेशों की परेशानी है, जिनमें विधानसभा है। नारायणसामी ने केंद्र से जल्द इस समस्या के समाधान की मांग की।
- बेदी ने कहा- केंद्र की वजह से लोगों को मिल पा रही सुविधाइस पर उपराज्यपाल किरण बेदी ने नारायणसामी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पुडुचेरी की जरूरतों के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है। यह केंद्र की साफ, गौर करने वाली, असंशोधित और निगरानी वाला मार्गदर्शन है, जिसकी वजह से पुडुचेरी प्रशासन अपने लोगों को जरूरी सेवाएं मुहैया करा पा रहा है।
- बेदी ने कहा कि केंद्र लगातार केंद्र शासित प्रदेशों की जरूरतों पर नजर रखता है, ताकि वे जनता की सेवा कर सकें। उन्होंने आगे कहा, “यह पुडुचेरी प्रशासन का दायित्व है कि वह अपनी सभी कमियों को दूर करे और अपने खर्चों से असली जरूरतमंदों की मदद तय करे।”
- पुराना है किरण बेदी और नारायणसामी का विवाद इसी साल फरवरी में नारायणसामी और बेदी का विवाद शुरू हुआ था। बेदी ने प्रशासन से अपील की थी कि दोपहिया वाहन चालकों का हेलमेट पहनना अनिवार्य किया जाए। इस पर सरकार ने कहा कि पहले जागरूकता फैलाएंगे, फिर इसे अलग-अलग चरणों में लागू करेंगे। इसी मुद्दे पर दोनों के बीच विवाद पैदा हो गया। नारायणसामी का आरोप था कि उपराज्यपाल सरकार के रोज के कामकाज में भी दखल दे रही हैं।
- नारायणसामी ने विवाद बढ़ने के बाद उपराज्यपाल भवन के बाहर धरना भी दिया था। उनका कहना था कि बेदी के पास अपनी कोई पावर नहीं है। वे सिर्फ मंत्रियों द्वारा भेजे गए दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए हैं। उन्हें कैबिनेट के फैसलों को रोकने का अधिकार नहीं है, लेकिन वे हमारे निर्णयों को वीटो कर रही हैं। खुद प्रधानमंत्री उन्हें हमारी सरकार के कामों में रोड़े अटकाने के लिए कह रहे हैं।