मस्जिद में ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने से किसी समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होती है। साथ ही धार्मिक भावनाओं का अपमान नहीं होता है…. ये बातें कर्नाटक हाई कोर्ट ने मस्जिद (mosque) में ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने के मामले में सुनवाई करते हुए कही। कोर्ट ने इस आधार पर दो आरोपियों (कीर्तन कुमार और सचिन कुमार) के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले को खारिज कर दिया है। कर्नाटक हाई कोर्ट के इस फैसले ने नई बहस को छेड़ दिया है। क्या कोई दूसरे धर्म या समुदाय का इंसान किसी दूसरे धर्म के धार्मिक स्थलों पर अपने धर्म से संबंधित नारा लगा सकता है?
दरअसल पूरा मामला सितंबर 2023 के कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में दर्ज किया गया था.मामले में शिकायतकर्ता का आरोप था कि दोनों आरोपियों ने एक रात मस्जिद में घुस कर ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए। इस पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295A, 447, और 506 के तहत मामला दर्ज किया था।मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “धारा 295A उन अपराधों से संबंधित है, जो जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं का अपमान करते हैं। जय श्री राम’ का नारा लगाने से किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंची है।
कोर्ट ने राज्य सरकार की दलील को ठुकराया
राज्य सरकार ने इस मामले में और जांच की मांग की थी लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोई ऐसी बात सामने नहीं आई है, जिससे पब्लिक ऑर्डर या शांति पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ा हो। अदालत ने यह भी कहा कि बिना किसी ठोस कारण के इस तरह के मामलों को जारी रखना न्याय प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और इससे न्याय का हनन हो सकता है।
आरोपियों के वकील ने दिया ये तर्क
आरोपियों के वकील ने तर्क दिया कि मस्जिद एक सार्वजनिक जगह है। इसी वजह से वहां पर इस तरह का कोई भी मामला नहीं बनता है। कर्नाटक सरकार ने याचिकाकर्ताओं की याचिका का विरोध किया और उनकी हिरासत की मांग करते हुए कहा कि मामले में आगे की जांच की जरूरत है।
कार्यवाही को आगे बढ़ाने की नहीं देंगे इजाजत- कोर्ट
बार एंड बेंच ने कोर्ट के हवाले से कहा कि शिकायतकर्ता ने कहा था कि उस क्षेत्र में हिंदू और मुसलमान शांति से रह रहे हैं। बेंच ने यह भी कहा कि अगर वह याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही को आगे बढ़ाने की इजाजत दे देती है तो वह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी काम आईपीसी की धारा 295ए के तहत अपराध नहीं बनेगा।
ये है पूरा मामला
पुलिस ने आरोप लगाया कि आरोपी 24 सितंबर 2023 को रात करीब 10:50 बजे मस्जिद में घुसे और जय श्री राम के नारे लगाए। उन पर धमकी देने का भी आरोप है। जब शिकायत दर्ज की गई तो आरोपियों को अज्ञात व्यक्ति बताया गया और बाद में आरोपियों को हिरासत में ले लिया गया। इन आरोपों के जवाब में आरोपियों ने कर्नाटक हाई कोर्ट का रुख किया और याचिका दायर की। इसके बाद में कोर्ट ने उनके खिलाफ मामला खारिज कर दिया।