कार्तिक मास में की गई पूजा-अर्चना सुख-समृद्धि बढ़ाने वाली मानी गई है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास में कुछ विशेष नियम भी बताए गए हैं, जिनका पालन करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। कार्तिक मास को चातुर्मास का अंतिम मास भी माना जाता है। कार्तिक मास में दिवाली का त्योहार भी मनाया जाता है। कार्तिक मास में भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की विशेष पूजा की जाती है।
कार्तिक मास में ये काम करने से बढ़ता है सौभाग्य
कार्तिक मास में किए गए शुभ कार्यों का विशेष पुण्य मिलता है। इस मास में की गई पूजा-अर्चना से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को विशेष आशीर्वाद देते हैं। कार्तिक मास में कुछ नियमों का पालन करना चाहिए, इससे भी सौभाग्य में वृद्धि होती है।
स्नान- कार्तिक मास में पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। कार्तिक मास में यमुना नदी की भी विशेष पूजा की जाती है। कार्तिक मास में यम द्वितीया के दिन यमुना में स्नान करना विशेष शुभ माना जाता है।
तुलसी पूजा- कार्तिक मास में तुलसी पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह करने का विधान बताया गया है। तुलसी पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
दीपदान- मान्यता है कि कार्तिक मास में शाम के समय पवित्र नदी या तुलसी के पास दीपदान करना चाहिए। दीपदान से जीवन में सकारात्मकता आती है। देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
आंवला पूजन- कार्तिक मास में आंवले के पेड़ की विशेष पूजा की जाती है। आंवले को सबसे अच्छी औषधि माना जाता है। मान्यता है कि लक्ष्मी जी ने आंवले के पेड़ को भगवान शिव और भगवान विष्णु का प्रतीक मानकर उसकी पूजा की थी।