कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में ईवीएम में साफ तौर पर गड़बड़ी का आरोप लगाया और निर्वाचन आयोग से जांच करने का आग्रह किया। कांग्रेस ने कहा कि निर्वाचन आयोग से पूरी जांच करने और विसंगतियों वाली ईवीएम को सील करके जांच पूरी होने तक सुरक्षित रखने का आग्रह किया है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मतगणना को लेकर संदेह है क्योंकि हरियाणा चुनाव के परिणाम आश्चर्य में डालने वाले हैं, सभी को लग रहा था कि कांग्रेस अगली सरकार बनाएगी। हरियाणा के नतीजे चौंकाने वाले हैं क्योंकि सभी को लग रहा था कि हरियाणा में कांग्रेस सरकार बनने जा रही है। सभी सर्वे रिपोर्ट में यही था लेकिन हुआ ये कि जब पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू हुई तो कांग्रेस हर जगह आगे चल रही थी, लेकिन जब ईवीएम की गिनती शुरू हुई तो कांग्रेस पिछड़ रही थी। हमें कई शिकायतें मिली हैं। कई जगहों पर वोटों की गिनती में देरी हुई। चुनाव आयोग ने हमें आश्वासन दिया है कि वे सभी शिकायतों पर गौर करेंगे।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि केसी वेणुगोपाल, अशोक गहलोत, अजय माकन, जयराम रमेश, भूपिंदर सिंह हुड्डा और पार्टी के अन्य नेताओं ने चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की। हमने आज चुनाव आयोग को अवगत कराया। करीब 20 शिकायते जो हमारे पास आई थी उसमें से 7 लिखित शिकायतों में ऐसी मशीनें थीं जो वोटिंग के दिन 99% दिखा रही थी और अन्य सामान्य मशीनें 60-70% दिखा रही थी। इससे हमने चुनाव आयोग को अवगत कराया। हमने मांग की कि जांच पूरी होने तक उन मशीनों को सील कर सुरक्षित रखा जाए। हमने चुनाव आयोग को यह भी कहा कि अगले 48 घंटों में हम बाकी शिकायतें भी उनके सामने रखेंगे। चुनाव आयोग ने हमें आश्वासन दिया है कि वह जवाब देंगे।
चुनाव आयोग ने कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे को संबोधित एक पत्र में कहा कि वह अप्रत्याशित परिणामों पर पार्टी अध्यक्ष के रुख को मानता है, न कि पार्टी के कुछ नेताओं के इस रुख को कि परिणाम स्वीकार्य नहीं हैं। कांग्रेस नेताओं को बयान पर आयोग ने कहा कि देश की समृद्ध लोकतांत्रिक विरासत में सामान्य अर्थों में उपर्युक्त जैसा अभूतपूर्व बयान अनसुना है, यह मुक्त भाषण और अभिव्यक्ति के वैध हिस्से से बहुत दूर है और यह वैधानिक और नियामक चुनावी ढांचे के अनुसार व्यक्त लोगों की इच्छा को अलोकतांत्रिक रूप से अस्वीकार करने की ओर बढ़ता है। बता दें कि जून में लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस के बीच हुई पहली बड़ी सीधी लड़ाई में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 48 सीट पर जीत दर्ज की जबकि 2019 में उसे 41 सीट मिली थी। कांग्रेस को 37 सीट पर संतोष करना पड़ा।