भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी मनाई जाती है। यह व्रत गणेश चतुर्थी के अगले दिन आता है। महिलाओं के लिए इस व्रत का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को जन्म-मरण से मुक्ति मिलती है और मासिक धर्म के दोषों से मुक्ति मिलती है। ऋषि पंचमी के दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व है। गंगा स्नान करने से व्यक्ति को जीवन के सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और सप्तर्षियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है जो पूजनीय माने जाते हैं। आइए जानते हैं ऋषि पंचमी कब है, शुभ मुहूर्त और महत्व
किस दिन रखा जाएगा ऋषि पंचमी व्रत?
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 7 सितंबर शनिवार को शाम 5:37 मिनट से शुरू होकर 8 सितंबर रविवार को शाम 7:58 मिनट पर समाप्त होगी। ऋषि पंचमी व्रत 8 सितंबर 2024 रविवार को रखा जाएगा।
ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त – सुबह 11:03 मिनट से दोपहर 1:34 मिनट तक
मंत्रों का जाप
ऋषि पंचमी पर इन मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है।
काश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रो गौतम:
जमदग्निर्वशिष्ठच्च सप्तैते ऋषि: स्मृता:
गृहणान्तवर्धया माया दत्तं तुष्टा भवति मे सदा।
ऋषि पंचमी व्रत का महत्व
ऋषि पंचमी व्रत महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हिंदू धर्म में महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान कुछ काम करने की मनाही होती है। इस समय धार्मिक कार्य में भाग लेना, पूजा-पाठ करना और भोजन बनाना वर्जित होता है। मान्यता है कि अगर महिलाएं मासिक धर्म के दौरान अनजाने में कोई गलती कर देती हैं तो ऋषि पंचमी व्रत रखने और सप्त ऋषियों की पूजा करने से उन्हें पापों से मुक्ति मिल जाती है।
ऋषि पंचमी पूजा विधि-ऋषि पंचमी व्रत करने के लिए प्रातः स्नान करके घर को शुद्ध करके पूजा कक्ष में एक चौकी पर सप्तऋषियों को स्थापित करें तथा गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य से उनका पूजन करें तथा अर्घ्य दें। इसके पश्चात केवल बिना बोई हुई चीजें ही खाएं तथा ब्रह्मचर्य का पालन करें।